भ्रष्टाचार किसी भी देश के लिए एक गंभीर समस्या है। लालच एवं आलस्य इसके मुख्य कारणों में आते हैं। भ्रष्टाचार न केवल जनता का शोषण करता है अपितु शासन की नींव को भी हिलाकर रख देता है। इसका उपचार करने हेतु कई कार्य किये जा चुके हैं एवं कई तरह के उपाय अपनाये जा चुके हैं फिर भी काफी हद तक आज भी यह हमारे सिस्टम में मौजूद है। आज हम चर्चा करेंगे कि जय प्रकाश नारायण के अनुसार भ्रष्टाचार की जड़ क्या है?
जयप्रकाश नारायण : जीवनी
Jayprakash Narayan in Hindi: 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताब दियारा के एक चित्रगुप्तवंशी कायस्थ परिवार में जयप्रकाश नारायण (जेपी) का जन्म हुआ था। वे एक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं राजनेता थे। उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। वे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद एवं डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गए थे। 1922-1929 तक उन्होंने उच्च शिक्षा हेतु अमेरिका जाकर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बरकली, विसकांसन विश्वविद्यालय में समाज-शास्त्र का अध्ययन किया। जहां उन्होंने एमए की डिग्री प्राप्त की परन्तु अपना पीएचडी वे पूरा नहीं कर पाए क्यूंकि उनकी माताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं था जिस वजह से उन्हें भारत लौटना पड़ा।
जयप्रकाश नारायण जब अमेरिका से लौटे तो स्वतंत्रता संग्राम तेजी पर था। उनका सम्पर्क जवाहरलाल नेहरु से हुआ एवं वे इस संग्राम का हिस्सा बने। 1932 में जब गाँधी, नेहरु व अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेस नेता जेल में थे तब जेपी ने भारत के अलग-अलग हिस्सों में संग्राम का नेतृत्व किया था। सितम्बर 1932 में ब्रिटिश पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्त में लेकर नासिक जेल भेज दिया गया था जहां उनकी मुलाकात मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन, एन॰ सी॰ गोरे, अशोक मेहता, एम॰ एच॰ दाँतवाला, चार्ल्स मास्कारेन्हास और सी॰ के॰ नारायण स्वामी जैसे उत्साही कांग्रेसी नेताओं से हुई। जेल में हुई इनकी चर्चाओं से कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी॰ एस॰ पी॰) का जन्म हुआ। सी॰ एस॰ पी॰ समाजवाद में विश्वास रखती थी। 1934 में जब कांग्रेस ने चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला लिया तब जे॰ पी॰ और सी॰ एस॰ पी॰ ने इसका विरोध किया था। जयप्रकाश नारायण को मुख्यतः 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है।
जय प्रकाश नारायण के अनुसार भ्रष्टाचार की जड़ क्या है?
5 जून 1974 में जयप्रकाश नारायण द्वारा सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया गया। जेपी ने घोषणा की “भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति, ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है।”
जिस से यह तात्पर्य है कि जय प्रकाश नारायण के अनुसार भ्रष्टाचार की जड़ व्यवस्था है। हमारा सिस्टम कुछ इस प्रकार का है जिससे भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी को ख़त्म करना व शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाना संभव नहीं है। जब यह सिस्टम पूरा बदलेगा, सम्पूर्ण क्रांति आएगी तब भ्रष्टाचार का अंत होगा।
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