कछुआ रिंग किस राशि को पहनना चाहिए? वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कछुआ भगवान विष्णु के कच्छप अवतार का प्रतीक है। यह अवतार भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान धारण किया था और इसका प्रतिनिधित्व करने वाली अंगूठी पहनने से आत्मविश्वास बढ़ सकता है और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा मिल सकता है।
कछुआ रिंग किस राशि को पहनना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार सलाह दी जाती है कि मेष, वृश्चिक, मीन और कन्या राशि के व्यक्तियों को कछुए की अंगूठी पहनने से बचना चाहिए क्योंकि इससे उनके जीवन मे कठिनाइया आ सकती है इसीलिए इन राशियों के व्यक्तियो को कछुए की अंगूठी पहनने से बचना चाहिए। यदि कोई इसे पहनना चाहता है, तो उसे पहले किसी प्रतिष्ठित ज्योतिषी से सलाह लेने को कहा जाता है। ऐसा करने से जीवन में कई चुनौतियो का सामना करना पड़ सकता है, जिसमे किसी के करियर या व्यवसाय में संभावित असफलताए भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इस अंगूठी को पहनने से परिवार की समग्र सुख, शांति और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इस अंगूठी को पहनते समय कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी है, क्योंकि यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। अंगूठी केवल किसी ज्योतिषी की सलाह पर ही पहननी चाहिए। ज्योतिषियो का सुझाव है कि सिंह और तुला राशि के जातकों को अपनी कुंडली देखकर कछुए की अंगूठी पहननी चाहिए।
कछुए की अंगूठी पहनने के फायदे
जिन जातको को कचुए की अंगूठी पहनने से किसी तरह की मनाही नहीं है उन्हें कई लाभ मिल सकते हैं जैसे नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है, धन और सुख की प्राप्ति होती है, मनुष्य म धेर्य और शांति का वास रहता है, इस अंगूठी को हमेशा दाएं हाथ में ही पहनना चाहिए क्योकि बाएं हाथ में पहनने से लाभ प्राप्त नहीं होता है।
कछुए की अंगूठी पहनने की पूरी विधि
सबसे पहले, यदि आप कछुए की अंगूठी पहन रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप चांदी या सोने की अंगूठी लें। अंगूठी को पहनने से पहले इसे कच्चे दूध या दही में डुबोकर माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने रख दें। इसके बाद अंगूठी को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
जब भी आप कछुए की अंगूठी पहनें तो यह सुनिश्चित कर लें कि कछुए का मुंह आपकी ओर हो। कोई भी अंगूठी पहनते समय, विशेष रूप से अपने अंगूठे के बगल वाली पहली उंगली पर पहने। ये अनुष्ठान शुक्रवार के दिन करना चाहिए क्योकि यह अत्यधिक शुभ माना गया है।
FAQs
इसे सीधे हाथ की बीच वाली उंगली या फिर तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए।
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