काली घटा का घमंड ‘ घटा ‘, नभ मंडल तारक वृन्द खिले… ये मधुर पंक्तियाँ सुनी तो सबने हैं और काफी लोगों को कुछ कुछ याद भी होंगी। मगर इनमें प्रयुक्त अलंकार कौनसा है? क्या आप जानते हैं? यदि नहीं तो आप सही वेब पेज पर आये हैं यहां आपको जानने को मिलेगा कि Kali Ghata Ka Ghamand Ghata Mein Kaun Sa Alankar Hai – काली घटा का घमंड घटा में कौन सा अलंकार है?
Kali Ghata Ka Ghamand Ghata Mein Kaun Sa Alankar Hai?
“काली घटा का घमंड ‘ घटा ‘” इन पंक्तियों में यमक अलंकार है।
जब एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो तो वहां यमक अलंकार होता है। इस पंक्ति में पहली बार ‘घटा’ शब्द का अर्थ है काले बादलों से ओर दूसरी बार में ‘घटा’ कर अर्थ है कम होने से।
यमक अलंकार के कुछ ओर उदाहरण इस प्रकार है –
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।
या खाए बौरात नर या पाए बौराय।।
इस पद्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। पहले कनक का अर्थ ‘सोना’ और दूसरे कनक का अर्थ-धतूरा है।
“खग-कुल कुल-कुल बोल से बोल रहा।”
पहले कुल का अर्थ ‘वंश’ और दूसरे कुल का अर्थ- कुल कुल की ध्वनि से है।
“सपना सपना समझकर भूल न जाना”
यहाँ एक सपना शब्द का अर्थ – किसी का नाम, तथा दूसरे सपना शब्द का अर्थ – रात में आने वाला स्वप्न
“सजना है मुझे सजना के लिए “
एक सजना का अर्थ – श्रृंगार करना, दूसरे सजना का अर्थ – प्रियतम, प्रेमी, पति
और अंत में कुछ पंक्तियाँ –
काली घटा का घमंड ‘ घटा ‘ , नभ मंडल तारक वृन्द खिले ,
उजियाली निशा छविशाली दिशा, अति सोहे धरातल फूले फले ,
निखरे सुथरे वन पंथ खुले , तरु पल्लव चन्द्रकला से धुले ,
वन शारदी चंद्रिका चादर ओढ़े , लसै समलंकृत कैसे भले …….!!
FAQs
काली घटा का घमंड घटा , नभ मंडल तारक वृन्द खिले इन पंक्तियों में कवि शरद ऋतु के आगमन व सौंदर्य का गुणगान कर रहे हैं। शरद ऋतु के आते ही बरसात के बादल छंटने लग जाते हैं।
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