नक्षत्र कितने होते हैं

नक्षत्र कितने होते हैं?

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By Shubham Jadhav

आज का हमारा यह लेख गृह-नक्षत्र पर आधारित है जिसमे आपको यह जानने के लिए मिलेगा कि नक्षत्र किसे कहते हैं? तथा नक्षत्र कितने होते हैं? आदि।

आपने कई बार सुना होगा कि “ग्रह-नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे हैं” पर इसका क्या मतलब होता है? तो आपको बतादें कि जो लोग राशी गृहों तथा तारों की स्थिति पर विश्वास रखता हैं तथा ज्योतिष में मानता है, वह व्यक्ति अक्सर यह कहता हैं कि गृह नक्षत्र ठीक नहीं है।

वैदिक ज्योतिष ग्रहों और नक्षत्रों पर आधारित है पर आखिर ये ग्रह और नक्षत्र क्या हैं? और इनसे हमारा भाग्य कैसे जुड़ा है। भाग्य पर नौ ग्रहों के प्रभाव के बारे में ज्योतिष में काफी विस्तृत जानकारी दी गयी है। आज हम नक्षत्रों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों के सिद्धांत का बहुत महत्व है। इसे दुनिया भर में प्रचलित सभी ज्योतिषीय विधियों में सबसे सटीक और अचूक माना जाता है। ज्योतिष आपको बता सकता है कि ग्रहों के बीच कब लाभकारी संबंध बनते हैं।

नक्षत्र क्या होते हैं?

चंद्रमा 27.3 दिनों में पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा पूरी करता है और अपनी 360 डिग्री कक्षा के दौरान तारों के 27 तारों के समूहों से होकर गुजरता है। इन समन्वित और संयुक्त स्थिति को नक्षत्र कहा जाता है।

चंद्रमा जिन 27 तारों के समूहों से होकर गुजरता है, उन्हें अलग-अलग नक्षत्रों के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक नक्षत्र को 27 समूहों में बांटा गया है, और जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है या जिस नक्षत्र समूह से होकर गुजरता है, वह उस व्यक्ति का नक्षत्र माना जाता है।

27 नक्षत्रो के नाम

No.नक्षत्र का नामस्वामी ग्रहतारासंख्याआकृति/पहचान
1अश्विनीकेतु 3घोड़ा
2भरणीशुक्र 3त्रिकोण
3कृत्तिकारवि 6अग्निशिखा
4रोहिणी चन्द्र 5गाड़ी
5मॄगशिरामंगल 3हरिणमस्तक
6आद्रा राहु उज्वल
7पुनर्वसु बृहस्पति 5 या 6धनुष या धर
8पुष्य शनि 1 वा 3माणिक्य वर्ण
9अश्लेशाबुध 5कुत्ते की पूँछ
10मघा केतु 5हल
11पूर्वाफाल्गुनीशुक्र 2खट्वाकार
12उत्तराफाल्गुनीरवि 2शय्याकार
13हस्तचन्द्र 5हाथ का पंजा
14चित्रा मंगल1मुक्तावत् उज्वल
15स्वातीराहु 1कुंकुं वर्ण
16विशाखाबृहस्पति 5 या 6माला
17अनुराधा शनि 7जलधारा
18ज्येष्ठाबुध 3सर्प
19मूल केतु 9 या 11शंख
20पूर्वाषाढा शुक्र 4हाथी का दाँत
21उत्तराषाढा रवि 4सूप
22श्रवण चन्द्र 3बाण
23श्रविष्ठा मंगल 5मर्दल बाजा
24शतभिषा राहु 100मंडलाकार
25पूर्वभाद्र्पद बृहस्पति 2घंटाकार
26उत्तरभाद्रपदा शनि 2दो मस्तक
27रेवती बुध 32मछली

इन 27 नक्षत्रो को भी तीन श्रेणियों में बांटा गया है- शुभ, मध्यम और अशुभ।

शुभ नक्षत्र

शुभ नक्षत्र वे हैं जिनमें आपको सभी अपेक्षित परिणाम प्राप्त होते हैं। इसमें पंद्रह नक्षत्र हैं – रोहिणी, आश्विन, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, रेवती, श्रवण, स्वाति, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा फाल्गुनी, घनिष्ठा, पूर्वाषाढा हैं।

मध्यम नक्षत्र

मध्यम नक्षत्र के अंतर्गत आने वाले नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूला और शतभिषा हैं। सामान्य कार्य की दृष्टि से कोई हानि नहीं होती है, लेकिन इन नक्षत्रों में कोई विशेष या बड़ा कार्य करना उचित नहीं होता है।

अशुभ नक्षत्र

अशुभ नक्षत्र में कोई भी कार्य कदापि न करें। भरणी, कृतिका, मघा और आश्लेषा सहित ये नक्षत्र आमतौर पर नकारात्मक परिणामों से जुड़े होते हैं।

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