आज आप प्रबंध किसे कहते हैं तथा प्रबंध के दो प्रमुख कार्य लिखिए जैसे प्रश्न के उत्तर की तलाश में है तो आपको यहाँ इन प्रश्नों के उत्तर मिल जाएँगे।
प्रबंध किसे कहते हैं?
प्रबंध (Management) का अर्थ होता है कि संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना और लक्ष्य को प्राप्त करने की राह को आसान करना तथा लाभ में वृद्धि करना। यह एक प्रकार की प्रक्रिया है जिसमे एक से अधिक व्यक्ति शामिल होते हैं जो अपने कार्य को करने के लिए योजना का निर्माण करते हैं तथा संसाधनों का उपयोग करते हैं।
प्रबन्ध के माध्यम से किसी भी कार्य को सही ठंग से पूर्ण किया जा सकता है तथा प्रबन्धन में एक संगठन का होना जरुरी है जो किसी एक योग्य व्यक्ति द्वारा दिए गये निर्देशो का पालन करे तथा लक्ष्य को प्राप्त करने में लगने वाली लागत को न्यूनतम रखे।
परिभाषा
स्टेनले वेन्स के अनुसार
संक्षेप में प्रबन्ध का आशय निर्णय लेने तथा मानवीय क्रियाओं पर नियंत्रण रखने की प्रक्रिया से है जिससे कि पूर्व निर्धारित लक्ष्य आसानी से प्राप्त किया जा सकें।
प्रबंध के दो प्रमुख कार्य लिखिए
नियोजन (Planning)
नियोजन में यह निर्धारित किया जाता है कि किस तरह कार्य को आसान तथा कम लागत में पूर्ण कर सकते हैं साथ ही समय का भी ध्यान रखना होता है। नियोजन यानिकी कार्य को करने की योजना पूर्वानुमान पर आधारित होती है जिसमें लगने वाले समय, लगने वाली लागत, व आवश्यक संसाधन शामिल है। नियोजन में यह भी निर्धारित किया जाता है कि अगर विपरीत परिस्थिति आ जाती है तो उससे किस तरह निपटा जा सकता है।
संगठन (Organisation)
बिना परिश्रमी संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करना संभव नही है क्योकि नियोजन के बाद एक समूह की जरूरत होती है जो उस पर सुचारू रूप से काम कर सके। संगठन में मौजद सदस्यों को उनकी क्षमता के आधार पर कार्य दिया जाना चाहिए ताकि वो उसे सही तरह से पूर्ण कर सके और संस्थान को इसका लाभ मिल सके। संगठन के पास आवश्यक जानकारी का अभाव नही होना चाहिए वरना संस्थान को हानि भी हो सकती है और अगर संगठन के सदस्यों में कुछ कमी है तो पहले उसे पूरा करना चाहिए।
नियुक्तियाँ (Staffing)
संगठन में नियुक्ति का बड़ा महत्व है क्योकि नियुक्ति के बाद प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि कार्य को पूर्ण करने में संस्थान को किसी प्रकार की समस्या न आये तथा मध्य कार्य में किसी प्रकार का परिवर्तन करने की जरूरत ना रहे। नियुक्ति (Staffing) के लिए सबसे पहले सदस्यों की क्षमता का आकलन तथा उनकी योग्यता को समझना आवश्यक है।
निर्देशन (Directing)
निर्देशन का अर्थ होता है संगठन को उनके कार्यो से अवगत करना ताकि वो कार्य को निपुणता से कर सके, इसके लिए व्यक्ति की आवश्यकता होती है जो संगठन की अध्यक्षता कर सके और सकारात्मक वातावरण बना कर रखे, सदस्यों को निर्देश देने की क्षमता हो तथा उनसे समय पर कार्य करवा सके। निर्देशन के लिए अनुभव का होना बेहद जरुरी है।
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