आज के इस लेख में हम आपको लिंगानुपात की परिभाषा, लिंगानुपात को प्रभावित करने वाले कारक तथा देश में किस राज्य का लिंगानुपात सबसे कम है यह बताने वाले है।
लिंगानुपात
पुरुष और स्त्री के अनुपात को लिंगानुपात कहते है। भारत में लिंगानुपात का अर्थ है कि प्रतिहजार पुरुषो की संख्या पर स्त्रियों की संख्या। पर कई देशो में प्रतिहजार स्त्रियों की संख्या पर पुरुषो की संख्या को लिंगानुपात कहते है जैसे अमेरिका आदि।
लिंगानुपात को प्रभावित करने वाले कारक
सामाजिक कारक
बहुत से देशो में स्त्री तथा पुरुष दोनों में बहुत भेदभाव किया जाता है जिस कारण लिंगानुपात असमान बना रहता है। इन देशो में अधिकांश पुरुष प्रधान समाज के कारण भेदभाव उत्पन्न होता है और स्त्रियों की संख्या पुरुषो से कम पाई जाती है। भ्रूण हत्या, स्त्री शिशु हत्या, स्त्रियों के प्रति घरेलु हिंसा इसके मुख्य कारण है।
आर्थिक कारक
विकसित देशो में स्त्री तथा पुरुष में भेदभाव नही पाया जाता है या फिर काफी कम पाया जाता है, आर्थिक स्थिति के कारण विकसित देशो में स्वास्थ्य सम्बन्धित सुविधाएँ होती और इसी कारण इन देशो में प्रसव के दोरान महिलाओ की मृत्यु होने की सम्भावना ना के बराबर होती है।
प्राकृतिक कारक
कुछ क्षेत्रो में पुरुषो की तुलना में महिलाऐं अधिक होती है तथा कुछ क्षेत्रो में पुरुष अधिक होते हैं यह किसी के नियन्त्रण में नही होता है यह प्राकृतिक रूप से होता है। साथ ही कई जगह यह अनुपात समान भी रह सकता है। इसीलिए इसे प्राकृतिक कारक की श्रेणी में रखा गया है।
देश में किस राज्य का लिंगानुपात सबसे कम है?
2011 की जनगणना के अनुसार सबसे कम लिंगानुपात वाला राज्य हरियाणा है जहा प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रीयां 879 है। हरियाणा की कुल जनसंख्या 25351462 है तथा यहा की साक्षरता दर 75.6% है।
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