महाशिवरात्रि के दिन लगभग हर हिन्दू व्यक्ति व्रत करता है। लेकिन कई लोग पहली बार व्रत कर रहे होते हैं या उन्हें ध्यान नहीं रहता कि पिछली बार किस प्रकार से उन्होंने यह व्रत किया था और व्रत को कब खोला था तो कोई बात नहीं। आपकी इन्ही सभी समस्याओं को सुलझाने के लिए ही तो हमने ज्ञानग्रंथ को बनाया है। आज के इस लेख में आप जानेंगे कि शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है तथा शिवरात्रि के वर्त का क्या महत्व है।
शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है?
हर वर्ष वसंत ऋतु के फाल्गुनी मास की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है, इस दिन भगवान शंकर और पार्वती का विवाह हुआ था इसीलिए हर साल इस दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है तथा शिवरात्रि के दिन शिव पूजा, भजन, व्रत आदि रखे जाते हैं। तथा अपने आराध्य देव शंकर को प्रसन्न किया जाता है क्योकि हिन्दू पुराणों के अनुसार व्रत एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा अपने आराध्य देव को प्रसन्न किया जा सकता है। पर व्रत के कई नियम होते हैं जैसे व्रत कब खोलना चाहिए, व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नही आदि।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!महाशिवरात्रि के त्यौहार पर लगभग हर कोई व्रत रखता है चाहे वो स्त्री हो, पुरुष हो या बालक हो, इस दिन व्रत रखने से सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है तथा हर वर्ष बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। अगर आप भी महाशिवरात्रि का वर्त रखते है तो आपको व्रत के नियम जरुर जान लेना चाहिए।
व्रत के नियम
- शिवरात्रि का व्रत पुरे दिन रखा जाता है इसीलिए इसे आप अगली तिथि पर ही खोल सकते हैं यानिकी शिवरात्रि के खत्म होने के बाद ही इस व्रत को खोला जाता है।
- इस दिन नमक का सेवन नही किया जाता है हो सके तो नमकहिन फलाहार ही करें।
- भगवान को भी फलहार ही देना चाहिए तथा खट्टे फलो का भोग लगाने से भी बचना चाहिए।
- सुबह जल्द ही स्नान कर लेना चाहिए तथा शिव मंदिर जा कर शिवजी की पूजा करना चाहिए।
- शिवजी को चावल, सुपारी, पान, चंदन, दही, दूध, लौंग, शहद, घी, धतुरा, बेलपत्र आदि अर्पित करें।
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