हम सभी अपने देश को काफी प्रेम करते हैं तथा अपने देश का सम्मान करते हैं और उसकी अखंडता का ध्यान रखते हैं। उसी प्रकार हम देश के झंडे का भी सम्मान करते हैं, किसी भी देश झंडा उस देश का प्रतिक होता है इसीलिए हर नागरिक का कर्तव्य होता है कि देश के झंडे का सम्मान करें। हमारे भारत देश के झंडे को तिरंगा कहा जाता है क्योकि इसमें तीन रंग होते हैं। क्या आप जानते हैं कि भारतीय तिरंगा किस व्यक्ति ने बनाया था? यदि नहीं तो आइयें जानते हैं इस प्रश्न का उत्तर।
भारतीय तिरंगा किस व्यक्ति ने बनाया था?
वर्तमान तिरंगे की अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी, इनका जन्म 2 अगस्त 1876 को आंध्रप्रदेश के भटलापेनुमारू में हुआ था। इन्होने अपनी हाई स्कूल की पढाई मद्रास की केब्रिज यूनिवर्सिटी से की थी, यह एक सेनिक के रूप में काम करते थे तथा इस दौरान उनकी मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई और यह साथ में स्वतंत्र संग्राम के लिए कार्य करने लगे। एक समय काँग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में पिंगली वैंकैया ने देश का एक ध्वज होने की बात कही और गाँधी जी को यह बात पसंद आई तथा उन्होंने पिंगली वैंकैया को ध्वज का प्रारूप तैयार करने के लिए कहा।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!पिंगली वैंकैया ने प्रारम्भ में दो रंगो वाला झंडा तैयार किया था जिसमे लाल तथा हरा रंग था, तथा इसके बीच में एक चरखा था इसके बाद गाँधी जी के कहने पर इसमें सफेद रंग भी जोड़ा गया तथा कुछ लोगों के सुजाव के बाद अशोक चक्र लगाया गया, 1931 में कांग्रेस ने कराची के अखिल भारतीय सम्मेलन में केसरिया, सफ़ेद और हरे तीन रंगों से बने इस ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकार किया।
तिरंगे के तीन रंगो का अर्थ
तिरंगे में उपस्थित पहला केसरिया रंग शक्ति और साहस का प्रतिक है, इसके बाद का सफेद रंग सत्य तथा शांति का प्रतिक माना गया है और अंतिम रंग हरा विकास और उर्वरता का प्रतिक माना गया है। तथा तिरंगे के मध्य में उपस्थित 24 तीलियों वाला अशोक चक्र निरंतर प्रगति का प्रतिक है। इस प्रकार यह राष्ट्रिय ध्वज एकता, शांति, प्रगति, विकास को दर्शाता है।
तिरंगे को लेकर है कई नियम
- तिरंगा हमेशा आयताकार होना चाहिए तथा इसका अनुपात 3:2 का ही होना चाहिए।
- भारतीय ध्वज संहिता में तिरंगे को लेकर कई तरह के नियम मौजूद है।
- ध्वज के ऊपर अन्य किसी भी ध्वज को नहीं फहराया जा सकता है, चाहे वह किसी भी राजनेतिक पार्टी का ध्वज हो या फिर धर्म ध्वजा।
- किसी भी तरह से मेला और फटा तिरंगा नहीं फहराया जा सकता है।
- झंडा कभी भी ऐसा नहीं फहराना है कि उसका एक हिस्सा जमीन से स्पर्श हो।
- झंडे पर कुछ भी अंकित नहीं किया जा सकता है।
- यदि झंडे को किसी अन्य देश के झंडे के साथ फहराया जा रहा है तो सभी झंडो का आकार समान होना चाहिए तथा एक स्तम्भ पर एक ही झंडा फहरा सकते हैं।
- अगर तिरंगा किसी भी अन्य तरह के झंडो के साथ फहराया जा रहा है जैसे विज्ञापन, कॉर्पोरेट झंडे आदि तो तिरंगे को मध्य में ही रखना चाहिए।
- यदि तिरंगे का उपयोग किसी जुलुस में किया जा रहा है तो इसे सबसे आगे रखना होता है।
- झंडे से किसी भी वस्तु को ढका नहीं जा सकता है।
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