नमस्कार दोस्तों आज आप त्रिपिटक क्या है? इस प्रश्न के उत्तर की खोज में हमारे इस लेख तक आ पहुचे है तो इसमें हम आपकी पूरी मदद करेंगे और आपको इस प्रश्न का उत्तर बताएँगे।
त्रिपिटक क्या है?
त्रिपिटक का शब्दिक अर्थ होता है तीन पिटारी। त्रिपिटक बोद्ध धर्म का मुख्य ग्रन्थ है, यह ग्रन्थ अतिप्राचीन है जिसकी रचना 100 से 500 ईसा पूर्व के बीच मानी जाती है, इस महान ग्रन्थ में भगवान बुद्ध के उपदेश संगृहीत है। यह कई भाषाओ में उपलब्ध है परन्तु इसकी मुख्य भाषा पालि भाषा है और यह लंका में अर्थात सिहल देश में लिखा गया था। इसमें भगवान बुद्ध के प्रवचन संग्रहित है जो भगवान बुद्ध द्वारा बुद्धत्त्व प्राप्त करने के समय से महापरिनिर्वाण तक के समय के बीच के है। यह तीन भागों में बटा हुआ है, विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्म पिटक। तथा त्रिपिटक में १७ ग्रंथो का समावेश है। इसमें राजनीति, अर्थनीति, सामाजिक व्यवस्था, शिल्पकला, संगीत, वस्त्र-आभूषण, वेष-भूषा, रीति-रिवाज तथा ऐतिहासिक, भौगोलिक, व्यापारिक आदि अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों का भली- भाँति ज्ञान कराया गया है।
त्रिपिटक के भाग
त्रिपिटक के तीन भाग है –
- विनय पिटक
- सुत्त पिटक
- अभिधम्म पिटक
कुछ और महत्वपूर्ण लेख –
- Kargil Yudh Kab Hua Tha – कारगिल युद्ध कब हुआ था?
- क्या होती है सच्चे मित्र की पहचान?
- मनुष्य की बुनियादी आवश्यकता कौन-कौन सी हैं?
FAQs
यह बोद्ध धर्म का प्रमुख ग्रन्थ है जिसके अंतर्गत बौद्ध धर्म का इतिहास, नियम, उपदेश एवं जातक कथा के अलावा पूजा पद्धति का पूर्ण विवरण है।