धर्मनिरपेक्ष राज्य किसे कहते हैं?

धर्मनिरपेक्ष राज्य किसे कहते हैं?

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By Shubham Jadhav

इस लेख में आप जानेंगे कि धर्मनिरपेक्ष राज्य किसे कहते हैं?

धर्मनिरपेक्ष राज्य किसे कहते हैं?

धर्मनिरपेक्ष शब्द का मतलब होता है कि ‘धर्म से अलग’ या धर्म के आधार पर नहीं होना। ऐसे राज्य जो धर्मनिरपेक्ष होते हैं वह किसी भी धर्म के प्रति उदासीन होते हैं तथा उनके निर्णय कानून का आधार पर होते हैं , यहाँ हर धर्म के व्यक्ति को समान अधिकार होते हैं तथा राज्य और कानूनी फैसले भी धर्म को अलग रख कर ही किये जाते हैं। धर्मनिरपेक्ष राज्य सभी धर्मो को समानता से देखते हैं तथा धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते हैं।

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ होता है कि कोई भी राज्य या दल धर्म के आधार पर किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं कर सकता है, धर्मनिरपेक्षता का अर्थ किसी भी व्यक्ति की मान्यताओ और प्रथाओ का विरोध करना नहीं है, हर कोई इन राज्यों में अपने धर्म को आज़ादी के मान सकता है। साथ ही इस राज्यों में किसी भी धर्म को न मानने वाली व्यक्ति को भी आज़ादी और अधिकार मिलते हैं। कई बार दो धर्मो के लोगों के बीच मतभेद की स्थित बन जाती है ऐसे राज्य का कर्तव्य होता है कि वह भाईचारे को स्थापित करें तथा सत्य का पता लगा कर फैसला लें। कोर्ट आदि के मामलो में भी सबूतों के आधार पर कार्यवाही की जाती है जिस कारण धर्मनिरपेक्षता राज्यों में अदालतों के फैसले बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक देख कर नहीं लिए जाते हैं।

धर्मनिरपेक्षता के अनुकूल प्रभाव (Positive Effect )

  • धर्मनिरपेक्षता के कारण लोगों में सर्वधर्म सम्मान की भावना का विकास होता है।
  • धर्मनिरपेक्षता सभी धर्मो के लोगों को आपस में जुड़ने के अवसर प्रदान करती है।
  • किसी भी एक धर्म का अधिकार नहीं होता है व्यक्ति हर धर्म के त्योहारों को खुल कर मना सकता है।
  • धर्मनिरपेक्षता के कारण मानवता तथा मानव कल्याण को बढ़ावा मिलता है।
  • किसी भी धर्म के व्यक्ति को असुरक्षा महसूस नहीं होती हैं तथा न्यायपालिका पर भरोसा होता है।
  • अन्य धर्म को लेकर कट्टर भावना तथा विरोधी भावना का अंत होता है।

धर्मनिरपेक्षता के प्रतिकूल प्रभाव (Negative Effect)

  • धर्मनिरपेक्षता के लेकर कई लोगों का मानना है कि यह पश्चिमी सभ्यता को बढ़ावा देने का काम करता है।
  • धर्मनिरपेक्षता के कारण किसी विवाद की स्थिती में सही का साथ देने के बाद भी आरोपों का सामना करना पड़ता है।
  • धर्मनिरपेक्षता कई मामलो में वोट बेंक के लिए काम कर सकती हैं और इसे राजनेतिक स्तर पर प्रभावित कर सकती है।
  • यदि कोई राज्य अल्पसंख्यको के निर्णय को नहीं मानता है तो उस पर धर्मनिरपेक्ष न होने के ज्यादा आरोप लगते हैं और इसके विपरीत बहुसंख्यको के निर्णय को न मानने पर भी धर्मनिरपेक्ष छवि प्रभावित हो सकती है। कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।

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