आज का प्रश्न है कि आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई?
507-508 ईसा पूर्व में जन्मे शंकराचार्य का जन्म केरल के ‘काषल’ नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवगुरु और माता का नाम अयम्बा था। लंबे समय तक शिव की आराधना करने के बाद शिवगुरु को इस अनमोल पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई थी।
आदि गुरु शंकराचार्य जब तीन वर्ष की अल्पायु के ही थे तब उनके पिता का निधन हो गया। कम उम्र के बावजूद उन्होंने अद्भुत बुद्धिमत्ता और प्रतिभा का प्रदर्शन किया। छह साल की उम्र तक, उन्होंने पहले ही खुद को एक प्रतिष्ठित विद्वान के रूप में स्थापित कर लिया था और आठ साल की उम्र में उन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया था।
आदिशंकराचार्य द्वारा चार पीठो की स्थापना की गयी थी –
- उत्तर दिशा में बदरिकाश्रम में ज्योतिर्पीठ : स्थापना-युधिष्ठिर संवत् 2641-2645
- पश्चिम में द्वारिका शारदापीठ- यु.सं. 2648
- दक्षिण शृंगेरीपीठ- यु.सं. 2648
- पूर्व दिशा जगन्नाथपुरी गोवर्द्धनपीठ – यु.सं. 2655
आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तराखंड केदारनाथ में एक हिमालय का क्षेत्र है जहाँ आदि गुरु शंकराचार्य ब्रह्मलीन हो गये थे। जब उनकी उम्र मात्र 32 वर्ष थी। यह बहुत ही विद्वान तथा एक धार्मिक प्रचारक थे और लोगों को धर्म की राह पर लाने कार्य करते थे तथा शिक्षा देते थे, इन्होने सिर्फ 12 वर्ष की आयु में सभी शास्त्रों का अध्ययन प्राप्त कर लिया था।
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