आचार्य चाणक्य के बताये हुए मार्ग पर यदि कोई व्यक्ति चले तो उसका अहित होना असंभव है। चाणक्य ने न केवल राजनीती के बारे में, अपितु जीवन जीने की कला एवं रिश्तेदार, भाई-बंधू, परिवार एवं लगभग हर विषय पर ही चाणक्य नीति के अंतर्गत चर्चा की है और आज भी ये लोगों के काम आती है या पसंद आती है। आज हम आचार्य चाणक्य नीति के एक ऐसे ही श्लोक के बारे में चर्चा करेंगे जो कहता है कि “ऐसे लोगों पर भूल कर भी भरोसा नहीं करना चाहिए।”
ऐसे लोगों पर भूल कर भी भरोसा नहीं करना चाहिए
चाणक्य नीति में एक श्लोक है जो कि अग्रलिखित है।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!नखीनां च नदीनां च शृंगीणा शस्त्रपाणिनाम।
विश्वासो नैव कर्तव्यो स्त्रीषु राजकुलेषु च।।
अर्थ: नखीनां यानि कि बड़े-बड़े नाखूनों वाले पशुओं जैसे चीते, शेर आदि प्राणियों, विशालकाय नदियों, बड़े सींग वाले पशुओं जैसे सांड आदि से एवं शास्त्र धारण करने वालों, स्त्रियों तथा राजा से सम्बंधित कुल वाले व्यक्तियों का विश्वास कदापि नहीं करना चाहिए।
जिनके नाख़ून बड़े होते हैं, उन हिंसक प्राणियों से बचकर रहना चाहिए, पता नहीं कौन कब आप पर हमला करदे। जिन नदियों के बारे में आपको पता नहीं यह कितनी पुरानी है व जहा तट पक्के नहीं हैं, उन पर विश्वास करना भी मूर्खता है क्या पता कब उनका वेग प्रचंड रूप धारण प्रचंड रूप लेले, न जाने कब उनकी दिशा ही बदल जाये या न जाने वे किस और शुरू कर दे। यही कारण है कि नदियों के किनारे पर रहने वाले झोपड़े व लोग सदैव उजड़ते हैं।
बड़े-बड़े सींग वाले सांड आदि पशुओं पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए, किसको पता है कब उसे गुस्सा आ जाये और आप पर वार करदे? इसके अलावा जिस व्यक्ति के पास तलवार इत्यादि हथियार हो उनसे भी संभलकर रहना चाहिए क्यूंकि वे भी छोटी-सी बात पर क्रोध में आकर आक्रामक हो सकता है। स्त्रियों में जो चंचल स्वभाव की स्त्री है उस पर भी कभी विश्वास न करें वह अपनी चतुरता से आपके लिए विपरीत परिस्थिति पैदा कर सकती है।
इन सबके अलावा राजसेवकों और राजकुल से जुड़े व्यक्तियों पर भी विश्वास करना उचित कार्य नहीं है। वे आपके खिलाफ कभी भी राजा के कान भर कर आपके अहित का कार्य कर सकते हैं। राजहित से जुड़े लोग सदैव राज नियमों के प्रति ही समर्पित और निष्ठावान होते हैं ऐसे में सम्बन्ध उनके लिए मायने नहीं रखते।
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