अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक


इस लेख में अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक तथा उसका अर्थ बताया गया है।

अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक

अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:

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अर्थ – अहिंसा ही परम धर्म है पर धर्म की रक्षा के लिए कि गयी धर्म हिंसा उससे भी बड़ा धर्म है।

आपने इस श्लोक को हमेशा अधुरा ही सुना होगा अहिंसा परमो धर्मः पर यह पूर्ण श्लोक नही है। महात्मा गाँधी ने अपनी राजीनीति चमकाने के लिए इस श्लोक को अधुरा ही प्रचलित किया था पर जिन लोगो ने महाभारत पड़ रखी है वह गांधीजी की इस चाल को समझ गये थे की वह एक सेक्युलर छवि को कायम रखने के लिए इस श्लोक को लोगो तक आधा पहुचा रहें हैं। आपको बतादें की गाँधी जी कभी नही चाहते थे कि हिन्दू या मुसलमान कोई भी उनसे नाराज़ हो इसीलिए वे ऐसी चाल चला करते थे। अगर जनता के सामने यह श्लोक पूरी तरह से आ जाता तो हो सकता था कि हिन्दू अपने हक के लिए बातें करने लगे जिसका राजनेतिक नुकसान महात्मा गाँधी को हो सकता था। वह कभी नही चाहते थे कि हिन्दू आक्रोशित हो इसीलिए उन्होंने इस श्लोक का अधूरा इस्तेमाल किया और लोगो का ब्रेन वाश किया।

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