अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक

अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक | Ahinsa Parmo Dharma Ka Arth

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By Shubham Jadhav

महाभारत के एक श्लोक को तोड़ मरोड़ इंटरनेट पर वायरल किये जा रहे “अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:” श्लोक के बारे में आपको आज हम पूर्ण जानकारी देंगे, यह पूरा श्लोक आपको बताएँगे साथ ही इसका अर्थ एवं यह कहाँ से लिया गया है भी बताएंगे। (Ahinsa Parmo Dharma Full Shloka in Hindi, Ahinsa Parmo Dharma Ka Arth)

अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक

अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:

यह श्लोक हिन्दू धर्म के किसी भी ग्रन्थ में मौजूद नहीं है। परन्तु आज कल सोशल मीडिया पर काफी प्रचलित है। जिसका अर्थ अहिंसा ही परम धर्म है पर धर्म की रक्षा के लिए कि गयी धर्म हिंसा उससे भी बड़ा धर्म है।

महाभारत के निम्न श्लोक से इस “अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:” श्लोक को बनाया गया है जो कि कुछ इस प्रकार है –

अहिंसा परमो धर्मस्तथाहिंसा परं तपः ।
अहिंसा परमं सत्यं यतो धर्मः प्रवर्तते ॥

अर्थ – अहिंसा परम धर्म है, अहिंसा परम तप है, और अहिंसा ही परम सत्य और जिससे धर्म की प्रवृत्ति आगे बढ़ती है।

यह श्लोक “अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:” वास्तव में किसी भी ग्रन्थ में नहीं है पर यदि इस श्लोक पर गौर करें तो हमें इसके अर्थ पर विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि आज के समय में अधर्मी और क्रूर लोगों का प्रकोप बड़ रहा है, जिस कारण धर्म रक्षा की जरूरत महसूस हो रही है।

उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी होगी, इसे अपने परिजनों के साथ शेयर जरुर करें।

FAQs

महाभारत में कुल कितने अध्याय है?

महाभारत में कुल 18 अध्याय है।

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