दोस्तों इस लेख में हम आपको बताएँगे कि “घर का भेदी लंका ढाए” वाक्य में प्रयोग क्या होता है और क्या है इस मुहावरे का अर्थ। यह एक बहुचर्चित मुहावरा है जो बहुत बार इस्तेमाल किया जाता है पर यदि आप फिर भी इसका अर्थ नही जानते हैं तो इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ियेगा आप इस मुहावरे के बारे में सब कुछ जान जाएँगे।
घर का भेदी लंका ढाए मुहावरे का अर्थ
घर का भेदी लंका ढाए मुहावरे का अर्थ होता है कि किसी अपने के द्वारा ही धोखा मिलना। इस मुहावरे की उत्पत्ति रामायण की उस घटना से हुई है जब रावण का ही भाई विभिषण उसकी मौत का कारण बन गया, क्योंकि विभीषण राम भगवान के साथ जा कर मिल गया था और वह लंका के राजा रावण के पतन का कारण बन गया था।
घर का भेदी लंका ढाए वाक्य में प्रयोग
- सतीश के नौकर ने ही उसके घर में चोरी कर ली इसे कहते हैं घर का भेदी लंका ढाए।
- भरत और शिव एक अच्छे मित्र है पर परीक्षा में भरत में शिव की बिलकुल भी मदद नही की यह तो वही बात हो गयी घर का भेदी लंका ढाए।
- सिद्धू बीजेपी में था तब कांग्रेस की बुराई करता था मगर अब कांग्रेस में जाकर बीजेपी की बुराई करता है। यह तो घर का भेदी लंका ढाए वाली बात है।
- अपने लालच के लिए प्रकाश ने उसके भाई के खिलाफ ही गवाही देदी ,इसे कहते है घर का भेदी लंका ढाए।
- पुलिस चार मेसे एक चोर को पकड़ने में ही सफल रही परन्तु उस एक चोर ने बाकि तीनो के बारे में जानकारी देदी यह तो घर का भेदी लंका ढाए वाली बात है।
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