एक महिला जब पहली बार गर्भवती होती है तो उसे कई तरह के नए अनुभव मिलते हैं, साथ ही उसके मन में कई तरह प्रश्न भी आते रहते हैं। मन में आने वाले प्रश्नों में सबसे ज्यादा बार और लगभग हर किसी महिला को के मन में आना वाल प्रश्न होते है कि बच्चा किस पर जाएगा? उसकी शक्ल माँ पर जाएगी या पिता पर!
गर्भवस्था के समय महिला को अपने स्वास्थ्य का बेहद ध्यान रखना होता है, उसके अंतिम महीनों में हर समय उसके साथ किसी साथी का होना बेहद जरुरी है। ऐसे में महिला की हालत काफी नाजुक बनी रहती है और उसे खुद के साथ साथ बच्चे का भी ध्यान रखना होता है। बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहले परिवार के लोग और माता पिता उसके सफल जीवन की कामना करते हैं और कुछ ही समय में बच्चे की शक्ल किस पर गयी है? बच्चे के बाल किस पर गये हैं? ऐसे साधारण से प्रश्नों के उत्तर देने लगते हैं।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!बच्चे की शक्ल का निर्धारण, बालों का रंग, आँखें, कान, हाथ सभी देखे जाते हैं, और मिलान किया जाता है कि बच्चा किसी लगता है। बच्चे की शक्ल और इन सभी चीजो का निर्धारण बहुत से कारको पर निर्भर है, आइयें जानते कि डॉक्टर मनीषा शर्मा इस बारें में क्या कहती है?
बच्चे की शक्ल किस पर जाएगी?
डॉक्टर मनीषा शर्मा के अनुसार यह निर्धारित कर पाना सम्भव नहीं हैं कि बच्चे की शक्ल किस पर जाएगी, क्योंकि यह एक ऐसी जटिल प्रक्रिया है जो हमारे हाथ में नहीं है। किसी भी बच्चे की शक्ल, बाल का रंग, आँखों का रंग माता और पिता दोनों पर निर्भर होता है। इसके लिए DNA और जींस जिम्मेदार होते हैं और माता तथा पिता के DNA व जींस के आधार पर ही बच्चे की शक्ल आदि तैयार होते हैं। कई बार शक्ल भ्रूण का निर्माण कुछ इस तरह से होता है कि बच्चे का मुह माता पिता दोनों से मेल नहीं खाता है और ऐसा होना भी सामान्य है। कई बार बच्चे की शक्ल दादा या दादी से भी मिलती है, ऐसा होना भी आम है क्योंकि DNA पीड़ी दर पीड़ी आगे बड़ते हैं और यह अनुवांशिक जानकारी के वाहक होते हैं।
अधिकांश मामलो में बच्चे में 50 प्रतिशत गुण माता के और 50 प्रतिशत पिता के होते हैं, पर कुछ मामलो में यह आकडा कम ज्यादा हो जाता है इसीलिए बच्चा उस व्यक्ति की तरह ज्यादा दिखाई देता है जिसके जीन और DNA बच्चे में ज्यादा होते हैं। एक शोध में पता चला हैं कि माता की तुलना में पिता के अनुवांशिक गुण बच्चे में ज्यादा देखें जाने की सम्भावना है। गर्भावस्था के समय बहुत से ऐसे कारक है जो बच्चे के रूप को निर्धारित करते हैं जिसमे डाइट, शारीरिक और मानसिक स्थिती, किसी भी तरह के नशे की आदत (शराब, तम्बाकू आदि) आदि शामिल है।
बेहद जरुर है संतुलित भोजन
अगर गर्भावस्था के समय महिला डाइट पर सही से ध्यान न दे तो बच्चे के स्वास्थ्य के साथ साथ स्वयं का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। संतुलि भोजन ही एक स्वस्थ्य शिशु को जन्म देने में सहायक होता है, इसके लिए गर्भावस्था के समय दही, दूध, पनीर, अंडे, दाल, प्रोटीन युक्त भोजन करना चाहिए तथा फलो में अनार, केले, सेब, जामुन का सेवन करना चाहिए।
शराब और धुम्रपान से रहे दूर
जो महिला धुम्रपान करती है या फिर शराब पीती है उसकी बाँझ होने की सम्भावना बड़ जाती है, क्योंकि यह शरीरिक रूप से काफी हानि पहुचाता है। केवल महिला ही नहीं पुरुष भी यदि इस तरह की किसी भी चीज का नशा करते हैं तो उनके शुक्राणुओ की गुणवत्ता खराब हो सकती है और उनमे भी बाँझपन आ सकता है। यदि कोई महिला गर्भधारण के समय धुम्रपान या शराब का सेवन करती है तो गंभीर समस्याएँ हो सकती है, जैसे बच्चे के आकार में परिवर्तन हो सकता है, बच्चा कम वजनी हो सकता है, समय से पहले जन्म हो सकता है, बच्चे में कई तरह की बीमारियाँ जन्म ले सकती है आदि।