पृथ्वी से हमें कई तरह के खनिज मिलते हैं जो हमारे लिए अति आवश्यक है। इनका अलग-अलग उपयोग होता है तथा यह प्राचीन काल से ही मानव सम्भ्यता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। पर इन्हें प्राप्त करने की प्रक्रिया आसान नहीं है, कड़ी मेहनत और कई तरह के उपकरणों के माध्यम से यह खनिज प्राप्त किये जाते हैं। जब भी खनिज की बात की जाती है तो खनन का नाम जरुर आता है तो आइयें जानते हैं कि खनन किसे कहते हैं तथा यह कितने प्रकार का होता हैं?
खनन किसे कहते हैं?
खनन एक प्रकार की प्रक्रिया है, जब भी पृथ्वी से किसी भी प्रकार की धातुं, अयस्क और औद्योगिक को निकाला जाता है तो इस क्रिया को खनन कहा जाता है। खनिजो को निकालने के लिए कई तरह के उपकरणों की जरूरत होती है तथा बड़े-बड़े वाहनों के द्वारा खनिज को एक स्थान से दुसरे स्थान पर पहुचा कर उनका शुद्धिकरण किया जाता है तथा उनका उपयोग किया जाता है। आज के समय में जनसंख्या इतनी अधिक बड़ चुकी है कि करोड़ो टन खनिज की जरूरत होती है, और पहले की तुलना में अब बड़ी खदानों की जरूरत होती है। खदान उस स्थान को कहा जाता है जहाँ से खनिज निकाले जाते हैं।
वर्तमान समय में खदाने काफी गहरी होती है तथा इनसे खनिज निकालना आसान हो गया है, पंरतु पहले के समय में इनकी गहराई ज्यादा नहीं होती थी तथा ज्यादा खुदाई करने पर पानी निकलने के कारण खनिजो को निकालना असम्भव था पर अब पंप जैसे उपकरणों के माध्यम से गहरी जगहों से भी खनिज निकाल पाना सम्भव हो गया है। और आधुनिक इंजीनियरिंग भी इसमें काफी मददगार शाबित हुई है, खनिज को निकालने में सहायता करने वाली इंजिनियरिंग खनन इंजीनियरिंग कहलाती है। यह इंजीनियरिंग खनन को और सरल बनाती है इसकी मदद से ज्यादामार मात्रा में और कम समय में खनिज प्राप्त करने में भी मदद मिलती है।
खनन क्रिया कितने प्रकार के होते हैं?
मुख्य रूप से खनन तीन प्रकार के होते हैं :-
- तलीय खनन (Surface mining),
- जलोढ़ खनन (alluvial mining)
- भूमिगत खनन (Underground mining)
तलीय खनन (Surface mining)
इस तरह के खनन में धरातल से ही खनिजो को निकाला जाता है, इसमें किसी भी प्रकार से जमीन ज्यादा अंदर तक नहीं जाना होता है। या तो पहाड़ो को तोड़ कर या शिलाओं को हटा कर खनिज प्राप्त करना होता है। तालिय खनन में शेलिखेडी, चीनी मिट्टी आदि को तोड़ना होता है और यह ज्यादा कठोर भी नहीं होती है पर खनिजो तक पहुचने के लिए ग्रेनाईट जैसे कठोर शिलाओं का भी सामना करना पड़ता है। इसने विस्फोटो द्वारा तोड़ा जाता है जिसमे बारूद आदि का उपयोग होता है।
जलोढ़ खनन (alluvial mining)
जलोढ़ खनन में नदी या पानी के नीचे उपस्थित खनिजो को निकाला जाता है, जब नदियाँ अवसाद एकत्रित कर लेती है तो उसके नीचे मूल्यवान खनिज जैसे सोना आदि भी हो सकता है। इस अवसाद को हटा कर इन खनिजो को प्राप्त किया जाता है। कई बार नदी के नीचे तल में सुराख़ कर भी खनिज निकाला जाता है। आज के समय में आधुनिक जहाज़ों या नावों के द्वारा जलोढ़ खनन किया जाता है।
भूमिगत खनन (Underground mining)
इस खनन के द्वारा ही कई प्रमुख खनिज प्राप्त होते हैं, जब अत्यधिक गहराई में स्थित खनिज को निकाला जाता है तो इसे भूमिगत खनन कहते हैं। इसमें अत्यधिक खर्च आता है तथा कई तरह के यंत्रो की जरूरत होती है। इस तरह के खनन में ज्यादा संख्या में मजदूरों की जरूरत भी होती है तथा अनुभवी इंजिनियर और आधुनिक वाहनों के द्वारा ही यह सम्भव हो सकता है। खान से खनिज निकालने के लिए उसके आस पास दीवारे निर्मित की जाती है तथा सुरक्षा के हर इंतजाम किये जाते हैं।
यह भी पढ़ें :