माधुर्य भाव की भक्ति से क्या आशय है

माधुर्य भाव की भक्ति से क्या आशय है?

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By Shubham Jadhav

स्वागत है आपका हमारी इस वेबसाइट पर जहाँ आपको बहुत से ऐसे प्रश्नों के उत्तर बताएं जाते हैं जो अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं तथा उन प्रश्नों के बारें में इन्टरनेट पर कई तरह की त्रुटियाँ है। आज के इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि माधुर्य भाव की भक्ति से क्या आशय है?

माधुर्य भाव की भक्ति से क्या आशय है?

माधुर्य भाव की भक्ति उस भक्ति को कहा जाता है जिसमे ईश्वर को अपना मित्र, पुत्र, पति आदि मान कर उनकी आराधना और प्रेम किया जाता है। जिस तरह मीरा ने कृष्ण भक्ति की थी और कृष्ण को अपना पति माना था। इस भक्ति में ईश्वर के प्रति अत्यंत प्रेम भाव, तथा स्नेह होता है।

भक्त के द्वारा भगवान के प्रति आस्था, प्रेम के आनंद को अनुभव किया जाता है तथा साझा भी किया जाता है, यह ईश्वर के प्रति अपने भक्ति की पराकाष्ठा को प्रकट करता है, इस भक्ति में मधुरता का भाव होता है इसी लिए इसे माधुर्य भाव की भक्ति कहा जाता है।

आशा करता हूँ आपको मेरा यह आर्टिकल पसंद आया होगा, यदि दी गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी है और आपको लगता है कि आपके किसी परिचित को भी इस प्रश्न के उत्तर को जानने की अभिलाषा है, तो आपको इसे जरुर शेयर करना चाहिए तथा उस तक इस महत्वपूर्ण जानकारी को पहुचाना चाहिए।

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