मानवाधिकारों की विशेषताएं

मानवाधिकारों की विशेषताएं

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By Shubham Jadhav

आइये जानते हैं कि मानवाधिकार किसे कहते हैं तथा मानवाधिकारों की विशेषताएं क्या क्या है।

मानवाधिकार किसे कहते हैं?

मानव जीवन को सरल तथा समर्द्ध बनाने के लिए कुछ कानूनों का निर्माण किया जाता है, जिन्हें एक सरल तथा समर्द्ध जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योकि यह अधिकार इंसान को उसकी मुलभुत आवश्यकता को पूर्ण करने में सहयोगी होते हैं तथा इन्हें एक प्रकार की बाहरी सुविधा भी कह सकते हैं क्योकि यह मानवो को प्राप्त शक्तियों द्वारा देश तथा व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में लाभ पहुचाता हैं। यह अधिकार पूर्ण रूप से हर किसी को स्वतंत्रता प्रदान करते हैं पर इसकी यह सीमा है कि आप किसी और के अधिकारों का हनन नही कर सकते हैं। कट्टरता, अन्धविश्वास से ऊपर उठ कर इन अधिकारों को महत्व देना जरुरी समझा गया हैं क्योकि यह एक अध्यात्मिक सत्य के रूप में देखे जाते हैं। बिना मानवाधिकार के दुनिया में मानवता की कल्पना करना असम्भव है।

मानवाधिकारों की विशेषताएं

  • सार्वभौमिकता किसी भी परिस्तिथि में मानवाधिकारों की परिभाषा को परिवर्तित नही किया जा सकता हैं यानिकी यह हर धर्म, जाति तथा किसी भी रंग, वर्ग के इंसान के लिए एक समान ही रहते हैं। इन पर धर्म जाति का अगर प्रभाव पड़ता हैं तो यह मानवाधिकार नही कहला सकते हैं।
  • सर्वोच्चता – यह सबसे सर्वोच्च होते हैं क्योकि इनका अतिक्रमण करना सम्भव नही है, अगर इनका अतिक्रमण किया जाता है तो क़ानून की उपस्थिति मायने रखती है। संवेधानिक रूप से तथा क़ानून के आधार पर इन अधिकारों की रक्षा का प्रावधान है।
  • व्यक्तिगतता – केवल पृथ्वी पर मानव ही ऐसा प्राणी है जो अपनी बुद्धिमत्ता से निर्णय ले कर कार्य को सरल से सरल तरीको से करने में सक्षम है, उसके पास इतनी क्षमता है कि वो परिस्थिती को बदलने की शक्ति रखता हैं इसीलिए मानवाधिकार जे किये व्यक्तिगतता भी एक मुख्य बिंदु है।
  • क्रियान्वयन – क्रियान्वयन का अर्थ होता है कार्य में लाना और अधिकारों को किसी भी राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण द्वारा कार्य में लाना कठिन होता है इसीलिए इसके लिए अत्यधिक विकसित समाज तथा जागरूकता की आवश्यकता है।

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