जिस प्रकार प्रजा को मौलिक अधिकार प्राप्त है उसी प्रकार उनके कुछ कर्तव्य भी होते है। आइये जानते है कि मौलिक कर्तव्य किसे कहते है? और मौलिक कर्तव्य कहा से लिया गया है? और हमारे क्या क्या मौलिक कर्तव्य है?
मौलिक कर्तव्य किसे कहते है?
किसी भी देश के नागरिक के देश, समाज, अपनी उन्नति व विकास कार्यो के प्रति जो दायित्व होते है उन्हें ही मौलिक कर्तव्य कहा जाता है। आप मौलिक अधिकारों का आनन्द तब ही ले सकते है जब आप मौलिक कर्तव्यों का पालन करेंगे । हमे हमारे कर्तव्यो का हमेशा पालन करना चाहिए इससे देश की उन्नति होती है।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!हमारे क्या क्या मौलिक कर्तव्य है?
- भारत के सभी लोगों में समरता और समान मातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के समान के विरोध हो हमारे समाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें।
- हमारी सामाजिक संस्कृति और गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परीक्षण करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन, झील नदी और वन्य जीव हैं रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणीमात्र के प्रति दया भाव रखें।
- संविधान के नियमों का पालन करें तथा उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सदेव पालन करें।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने और उच्च आदर्शों का पालन करें।
- भारत की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें।
- देश की रक्षा करें और अहवाहन किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञान अर्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
- व्यक्तित्व एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें।
- माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों लिए प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवाना।
मौलिक कर्तव्य कहाँ से लिया गया है?
सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफ़ारिश पर ही संविधान के 42वें संशोधन -1976 ई० के द्वारा मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया था तथा मौलिक कर्त्तव्यों को रूस के संविधान से लिया गया है।
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