मीराबाई का जन्म सोलहवीं शताब्दी (1498 ई॰) में हुआ था, इनका जन्म स्थल पाली का कुड़की गांव है, यह बचपन से ही कृष्ण भक्त कर रही थी। मीराबाई रतन सिंह की पुत्री थी, रतन सिंह राठौड़ बाजोली के जागीरदार थे पर मीरा का जीवन इनके साथ नही बीता था मीरा बाई हमेशा से ही मेड़ता में रही थी।
अपनी कृष्ण भक्ति के लिए जानी जाने वाली मीराबाई हमेशा कान्हा जी की मूर्ति अपने साथ रखती थी। मीराबाई की शादी भोजराज के साथ 1516 में हुई थी तथा शादी के कुछ समय के बाद ही भोजराज दिल्ली सल्तनत के शासकों के साथ युद्ध में लगभग सन 1518 में घायल हो गए थे तथा ज्यादा घायल होने के कारण 1521 में उनकी इसी कारण मृत्यु हो गयी थी, इस समय सती प्रथा चलती थी पर मीरा बाई ने इससे मना कर दिया था और पति की मृत्यु पर भी मीरा ने अपना श्रृंगार नहीं उतारा वे पति की मृत्यु के बाद भी खुद को कभी विधवा नही मानती था वे कृष्ण को अपना पति मान चुकी थी। साथ ही आगे आप जानेंगे कि मीराबाई का बचपन का नाम क्या है?
मीराबाई का बचपन का नाम क्या है?
मीराबाई का बचपन का नाम पेमल था। मीराबाई की इतनी अधिक कृष्ण भक्ति तथा भक्ति में नाचना और गाना राज परिवार को बिलकुल पसंद नही था। उन्होंने कई बार मीराबाई को विष देकर मारने का प्रयास भी किया था पर वे असफल रहे और इसके फलस्वरुप परिवार वालों के इस प्रकार के व्यवहार से अत्यधिक परेशान होकर मीरा बाई द्वारका तथा वृन्दावन चली गयी थी।
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