आइयें जानते हैं की एक क्यों कहा जाता है की महामृत्युंजय मंत्र में छिपा है हर समस्या का समाधान, और इस मंत्र के जाप से कौन कौन से लाभ मिलते है। हिन्दू धर्म में कई मंत्र है जिनका उपयोग और पूजा के समय, हवन के समय तथा कई धार्मिक क्रमों के दौरान होता है।
महामृत्युंजय मंत्र से करे हर समस्या का समाधान
पंडित विकास शास्त्री के अनुसार देवो के देव महादेव को प्रसन्न करना बड़ा ही आसान है तथा इन्हें प्रसन्न करने के लिए कई तरह के मंत्रों का जाप किया जाता है, तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे अधिक महामृत्युंजय मंत्र का उपयोग किया जाता है, यह मंत्र मृत्यु के काल को दूर करता है।
यदि आप अत्यधिक भय महसूस कर रहें हैं तो आपको भय को दूर करने के लिए 1100 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए तथा यदि आप किस प्रकार के रोग से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको इस मंत्र का जप 11000 बार करना चाहिए, यदि कोई भक्त इस मंत्र का जाप सवा लाख बार करता है तो उसकी अकाल मृत्यु टल जाती है,
महामृत्युंजय मंत्र पूरा मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई?
इस मंत्र को अकाल मृत्यु को दूर करने वाला मंत्र कहा जाता है तथा यह मंत्र ऋग्वेद में मिलता है, इस मंत्र कि उत्पति के विषय में वर्णन नही है क्योकि इस मंत्र को स्वयं शिव का रूप माना गया है। इस मंत्र के माध्यम से हर ऋषि मुनि कि भक्ति पूर्ण होती है। इस मंत्र के जाप से तपस्या सिद्ध होती है और जप तप पूर्ण होते हैं।
इस मंत्र कि उत्पत्ति वेदों के समय ही हो गयी थी तथा वेदों को स्वयं ईश्वर ने निर्मित किया है इसीलिए इसके रचियता स्वयं ईश्वर ही इसके रचियता है। इस मंत्र के जाप से बुरी शक्तियों का अंत होता है तथा किसी भी तरह के भूत प्रेत अपना प्रभाव नही डाल पाते हैं।
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