नमस्कार दोस्तों! आज हम आपको बताने वाले है कि पठ् धातु के रूप (path dhatu roop in sanskrit)। पठ् धातु भ्वादिगणीय धातु शब्द है। हमने इस पोस्ट में पठ् धातु के धातु रूप संस्कृत में सभी लकारों, पुरुष और तीनों वचनो की जानकारी दी है। अधिकांश परीक्षाओ में धातु के रूप बनाने के लिए कहा जाता है इसीलिए आज हम पठ् धातु के रूप (path dhatu roop) उन विद्यार्थियों के लिए ले कर आये हैं जो संस्कृत की परीक्षा में भाग लेने वाले है।
संस्कृत में धातु रूप (Path Dhatu Roop in Sanskrit)
लट् लकार
जिस कार्य में यह प्रदर्शित होता है की वह कार्य वर्तमान में हो रहा है तो वहा लट् लकार का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए राम घर जाता है- रामः गृहं गच्छति, लट् लकार से सम्बन्धित है।
लिट् लकार
जहा परोक्ष भूत काल है वहा में लिट् लकार का प्रयोग होता है। जैसे राम ने रावण को मारा – रामः रावणं ममार
लुट् लकार
अनघतन भविष्यकाल के लिए लुट् लकार प्रयोग होता है। अनघतन का अर्थ समय से है उदाहरण से समझा जाए तो में कल जाऊंगा लुट् लकार के अंतर्गत आता है।
लृट् लकार
सामान्य भविष्यत काल में ‘लुट् लकार‘ का इस्तमाल किया जाता है।
लोट् लकार
इस का उपयोग आदेश देने, आज्ञा देने और बहाव बताने के लिए किया जाता है।
लङ् लकार
अनद्यतन भूत में लङ् लकार का प्रयोग होता है जैसे जो कार्य आज से पूर्व हो चुका है वहा लङ् लकार का उपयोग किया जाएगा।
पठ् धातु के रूप (Path dhatu roop in sanskrit)
1. लट् लकार पठ धातु रूप (वर्तमान काल)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठति | पठत: | पठन्ति |
मध्यम पुरुष | पठसि | पठथः | पठथ |
उत्तम पुरुष | पठामि | पठावः | पठामः |
2. लोट् लकार पठ धातु रूप (आदेशवाचक)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठतु | पठताम् | पठन्तु |
मध्यम पुरुष | पठ | पठतम् | पठत |
उत्तम पुरुष | पठानि | पठाव | पठाम |
3. लङ् लकार पठ धातु रूप (भूतकाल)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | अपठत् | अपठातम् | अपठन् |
मध्यम पुरुष | अपठः | अपठतम् | अपठत |
उत्तम पुरुष | अपठम् | अपठाव | अपठाम |
4. विधिलिङ् लकार पठ धातु रूप (अनुज्ञा)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठेत् | पठेताम् | पठेयुः |
मध्यम पुरुष | पठेः | पठेतम् | पठेत |
उत्तम पुरुष | पठेयम् | पठेव | पठेम |
5. लृट् लकार पठ धातु रूप (भविष्य काल)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | वहुवचन |
प्रथम पुरुष | पठिष्यति | पठिष्यतः | पठिष्यन्ति |
मध्यम पुरुष | पठिष्यसि | पठिष्यथः | पठिष्यथ |
उत्तम पुरुष | पठिष्यामि | पठिष्यावः | पठिष्यामः |
संस्कृत भाषा में पुरुष एवं वचन किसे कहते हैं?
वचन
परिभाषा-संज्ञा, सर्वनाम एवं क्रिया आदि शब्दों के जिस रूप से एक या एक से अधिक संख्या का ज्ञान होता है उन्हें ‘वचन’ कहा जाता है।
संस्कृत भाषा में वचन तीन प्रकार के होते है।
- एकवचन
- द्विवचन
- बहुवचन
एकवचन
जब संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रियाशब्द एक संख्या का ज्ञान कराता है, तप उसे एकवचन कहते है।
उदाहराण -बालकः पठति।
द्विवचन
संज्ञा सर्वनाम, विशेषण आदि शब्द जब दो संख्या का बोध कराता है, तो द्विवचन होता है। उदाहरण -तौ ते बालिके पठतः।
बहुवचन
संज्ञा आदि जो दो से अधिक संख्या का ज्ञान कराता है, वह बहुवचन कहलाता है। जैसे-छात्रा: पठन्ति।
पुरुष
जो शब्द कहने वाले, सुननेवाले या जिसके बारे में कुछ कहा जाए उसके लिए आते हैं, वे पुरुषवाचक शब्द कहलाते हैं।
संस्कृत में पुरुष तीन प्रकार के होते हैं
- प्रथमपुरुष,
- मध्यमपुरुष,
- उत्तमपुरुष।
प्रथम पुरुष
प्रथम पुरुष के अंतर्गत वह, वे सब, आप सब, आप दोनों आदि आते है। जब हम किसी अन्य के बारे में बातचीत करते हैं तो वहा प्रथम पुरुष होता है।
मध्यम पुरुष
जिससे बातचित हो रही हो या बात को सुनने वाला मध्यम पुरुष कहलाता है। जैसे तू, तुम दोनों, तुम सब आदि
उत्तम पुरुष
जब हम किसी से बातचीत करते हैं तो बात करनेवाला उत्तम पुरुष कहलाता हैं। जैसे- मै, हम दोनों, हम सब।
निष्कर्ष:
पठ धातु रूप (path dhatu roop) संस्कृत का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण विषय है जो कि लगभग हर बार परीक्षा में आता ही है। और हम में से कुछ छात्र उसे ठीक से लिख नहीं पाते। आज इसीलिए हम आपके लिए पठ धातु रूप ((path dhatu roop)) पर लेख बना हैं ताकि आप इसे बुकमार्क करके अपने फ़ोन के स्क्रीन पर सेव कर सकें। इससे होगा यह कि आप जब भी फ्री हों, एक बार दिन में इसे खोलकर देख सकते हैं और ऐसा करने से यह आपको अवश्य ही जल्दी याद हो जायेगा।
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