किसी भी व्यक्ति के साथ रंग, जाति, धर्म, आर्थिक आधार पर भेद भाव करना गलत है पर क्या आप जानते हैं कि एक देश है जिसने रंग के आधार पर भेदभाव कर एक नियम पारित किया था, अगर आप इस बारें में कुछ नही जानते है तो इस लेख को जरुर पढ़े। आइये जानते है कि रंगभेद नीति से क्या अभिप्राय है?
रंगभेद नीति से क्या अभिप्राय है?
दक्षिण अफ्रीका ने सन 1948 में एक विधान पारित किया था जिसके आधार पर काले और गौरे लोगो को अलग अलग अधिकार प्राप्त थे। यह नीति श्वेत तथा अश्वेत लोगो को अलग करने का काम करती थी, नेशनल पार्टी की सरकार ने गौरे लोगो को विशेष अधिकार दिए थे तथा काले लोगो के अधिकारों को सीमित रखा गया था। इस नीति को ‘वर्ण पृथक्करण’ की नीति भी कहा जा सकता है।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!रंगभेद नीति को इंग्लिश में आपार्थेट (Apartheid) कहा जाता है। इस नीति का विरोध करने वाले नेताओ को जेल भेज दिया जाता था, पर जब 1984 में देश के संवेधानिक सुधारो में बहुसंख्यक अश्वेत लोगो को जगह नही मिली तो इनका असंतोष बढ़ गया और हिंसा तक होने लगी। नेल्सन मंडेला ने सरकार बना कर 1994 में इस नीति को समाप्त कर दिया था वे शुरुवात से ही इस नीति का विरोध कर रहे थे।
FAQs
अफ्रीका में सन 1948 में गौरे और काले लोगो के लिए अलग अलग नियम बनाए गये थे जिसे रंगभेद नीति कहा जाता है।
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