हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन के रूप में जाने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जो संघ के नाम से भी जाना जाता है। 27 सितम्बर 1925 को इस संघ की स्थापना भारतीय राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए की गयी थी। इसके संस्थापक डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार जी है। संघ की एक प्रार्थना भी है, जो संस्कृत भाषा में है इसे संघ में मुख्य रूप से गाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि कि संघ की प्रार्थना संघ की प्रार्थना में कितने श्लोक हैं? अगर नही तो इस लेख को आखिर तक पढ़े।
संघ की प्रार्थना में कितने श्लोक हैं?
संघ की प्रार्थना में कुल 3 श्लोक है और इनमे कुल 74 शब्द है।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥१॥
प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्णमार्गम्
स्वयं स्वीकृतं नः सुगंकारयेत्॥२॥
समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥३॥
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