हिन्दू धर्म में श्लोक का काफी अधिक महत्व है और इनके जाप से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। सभी शुभ कार्यो के पहले जैसे शादी, गृह प्रवेश आदि में भी कई तरह के मंत्र और श्लोक पढ़े जाते हैं ताकि जीवन में किसी भी तरह की कोई विपत्ति न आये और भगवान की कृपा हमेशा बनी रहे। इस लेख में हम दीप मंत्र शुभं करोति कल्याणं के बारे में जानकारी साझा करने वाले हैं।
शुभमकरोती कल्याणम आरोग्य धनसंपदा
शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
अर्थ: में उस दीप के प्रकाश को नमन करता हूँ जो प्रकृति में शुभता, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है, वह प्रकाश जो वातावरण और मन से नकात्मक शक्ति का नाश करता है, इस दीपक को जलाने से हर इंसान के अंदर जो शत्रुबुद्धि यानिकी दुर्बुद्धि है उसका नाश हो।
सम्पूर्ण श्लोक
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा |
शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोऽस्तुते |
दिव्या दिव्या दिपोत्कार कानीं कुंडलें मोतीहार |
दिव्यला देखून नमस्कार || १ ||
तिळाचे तेल कापसाची वात |
दिवा जळो मध्यान्हरात |
दिवा लावला देवांपाशी |
उजेड पडला तुळशीपाशीं |
माझा नमस्कार सर्व देवांपाशी || २ ||
दीपज्योति परब्रह्म दीपज्योति जनार्दन |
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते || 3 ||
अधिराजा महाराजा वनराज वनस्पती |
इष्टदर्शनं इष्टानं शत्रूणां च पराभवम् |
मुले तु ब्रह्मरुपाय मध्ये तु मध्यविष्णुरुपिण: |
अग्रतः शिवरुपाय अश्वत्थाय नमो नमः ||
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