सूर्य ग्रहण के बारें में तो आपने कई बार सुना होगा और सूर्य ग्रहण को ले कर कई तरह की मान्यताए भी है। क्या आप जानते है कि सूर्य ग्रहण कैसे होता है और क्यों होता है? अगर नही तो हम इस लेख में हम आपको इस प्रश्न का उत्तर आसान शब्दों में देने वाले हैं। तो आइये जानते है कि सूर्य ग्रहण कैसे होता है?
सूर्य ग्रहण कैसे होता है और क्यों होता है?
जैसा की हम जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगती है तथा चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है इसीलिए कभी कभी ऐसी स्तिथि बन जाती है कि चन्द्रमा, पृथ्वी और सुरज के बीच में आ जाता है जिस कारण सूरज से आने वाले प्रकाश में बाधा उत्पन्न होती है और चन्द्रमा की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है और पृथ्वी के जिन हिस्सों पर यह छाया पड़ती है वहा से सूर्य को देखने पर वह किसी गोलाकार आकृति से या तो थोड़ा या पूर्ण रूप से ढका हुआ दिखाई देता है एवं यह गोलाकार आकृति चन्द्रमा की होती है।
सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही क्यों होता है?
सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है क्योकि चन्द्र इस समय उस कक्ष में होता है जहा वह हर पन्द्रहा दिन में पहुचता है परन्तु हर बार ऐसी स्तिथि नही बनती है किन सूर्य ग्रहण हो यह कभी कबार ही सम्भव होता है तथा चन्द्रमा का अक्षांश शून्य के निकट होना चाहिए।
खण्ड-ग्रहण किसे कहते हैं?
अधिकतर सूर्य ग्रहण के समय देखा गया है कि चन्द्रमा सूर्य के कुछ ही हिस्से को ढकता है इसे खण्ड-ग्रहण कहते हैं, पर यदि चाँद सूरज को पूर्ण रूप से ढक लेता है तो इसे पूर्ण ग्रहण कहते हैं। जिस कारण दिन कुछ समय के लिए रात जैसा वातावरण हो जाता है।

सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते है –
- पूर्ण सूर्य ग्रहण
- आंशिक सूर्य ग्रहण
- वलयाकार सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण को ले कर हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि इस सयम किसी प्रकार के पेड़ पोधे को ना छुए, भगवान की मूर्ति को हाथ ना लगाए, यात्रा करने से बचे, गर्भवती महिला बाहर ना निकले आदि।
कुछ और महत्वपूर्ण लेख –
- शनिवार को सूर्य भगवान को जल देना चाहिए या नहीं?
- भारत में सबसे पहले सूर्योदय किस राज्य में होता है?
- अभिजीत मुहूर्त क्या होता है – Abhijit Muhurat Kya Hota Hai?