टीबी की बीमारी के कारण कई लोगों की मौत हो जाती है और इस गंभीर को संक्रामक बीमारी की श्रेणी में रखा गया क्योकि यह आसानी से फ़ैल सकती है, सरकार इस बीमारी को कम करने के लिए कई प्रयास कर रही है और हर साल होने वाली मौतों के आकड़ो को कम करना चाहती है। क्या आप जानना चाहते हैं कि टीबी के मरीज को दही खाना चाहिए या नहीं?
टीबी की बीमारी क्यों होती है?
हेल्थ एक्सपर्ट अनिरुद्ध सभरवाल के अनुसार माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण फिअलने वाली यह बीमारी फेफड़ो के अलावा, मस्तिष्क, किडनी को भी प्रभावित कर सकती है, खांसने या छींकने से यह बीमारी तेजी से फेलती है, टीबी होने पर तीन हफ्ते तक लगातार खांसी चलने लगती है।
इसके मुख्य लक्षण खांसी में खून आना, थूक में खून आना, रात के समय पसीना, तेजी से वजन घटना ,सीने में दर्द, थकान, भूख में कमी, कफ बनना आदि है। इस बीमारी के फेलने या होने के कारण यह है कि किसी संक्रमित के सम्पर्क में आना, HIV मरीज के साथ रहना, हॉस्पिटल में काम करना, सिगरेट पीना आदि। यह बीमारी bacillus के कारण होती है, bacillus को हिंदी में दण्डाणु कहा जाता है। टीबी के मरीजो के लिए 2011 में एक वैक्सीन खोज ली गयी है जिसका नाम है बैसिलस काल्मेट-गुएरिन (बीसीजी)। यह बीमारी सन 1993 में इतनी तेजी से फेल रही थी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित कर दिया था।
टीबी के मरीज को दही खाना चाहिए या नहीं
टीबी (Tuberculosis) के मरीज दही खा सकते हैं क्योकि इसमें भरपूर आहार होता है तथा प्रोटीन युक्त पदार्थ इस बीमारी से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं, और वह सोया या टोफू, डेयरी, अंडे और दुबला मांस भी खा सकते हैं।
इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए प्रोटीन युक्त खाने को अपने खाने में जरुर शामिल करे, प्रोटीन के अलावा विटामिन पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है। इसीलिए विटामिन और प्रोटीन की पूर्ति करने के लिए अपने खाने में दूध, पनीर को शामिल करें।
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