विज्ञापन हमारे हर तरफ हैं। कोई विज्ञापन किसी उत्पाद को खरीदने की अपील कर रहा है तो कोई केवल यह बताना चाहता है कि फलाना ब्रांड मार्किट में है और बस उस ब्रांड को दिन भर हमें दिखा दिखा कर प्रोडक्ट खरीदने पर मजबूर कर ही दिया जाता है। यदि आप भी मार्केटिंग की दुनिया से जुड़े हैं या इसमें कदम रखने जा रहे हैं अथवा अपना ही कोई विज्ञापन बनवाना चाहते हैं तो बारिकी से जानिए कि Kisi Vigyapan Ke Aakarshan Ka Karan Kya Hota Hai – किसी विज्ञापन के आकर्षण का कारण क्या होता है?
कोई भी विज्ञापन बनाने से पूर्व हमें इन दो बातों का ध्यान रखना चाहिए।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!ऑडियंस (दर्शक) के अनुरूप :
किसी भी विज्ञापन को बनाने से पूर्व हमें सर्वप्रथम यह जान लेना आवश्यक है कि इसका ऑडियंस कौन होगा। उनकी उम्र, लिंग एवं रहने का स्थान सबसे पहले जान लें उसके बाद ही आगे बढ़ें ताकि हम अपनी उस ऑडियंस के हिसाब से अपना विज्ञापन बना सकें।
सही माध्यम का चुनाव :
विज्ञापन के कई माध्यम हैं जैसे पम्पलेट, बिलबोर्ड, टीवी, रेडियो, इंटरनेट, सोशल मीडिया इत्यादि। सर्वप्रथम हमें यही देखना चाहिए कि हमारा विज्ञापन किस माध्यम से प्रेषित होगा ताकि हम आगे की प्लानिंग कर पाए।
Kisi Vigyapan Ke Aakarshan Ka Karan Kya Hota Hai
किसी विज्ञापन के आकर्षण का कारण उसकी सामग्री (कंटेंट) है। आईये हम इसे निम्न बिन्दुओ के माध्यम से विस्तार में समझते हैं।
विज्ञापन का फॉर्मेट
विज्ञापन किस फॉर्मेट में तथा साइज में है, यह विज्ञापन के आकर्षण का एक प्रमुख कारण है। साथ ही साथ आपको यह भी ध्यान रखना है कि किस हैडिंग को कहाँ दर्शाना है व किस चित्र को कैसे दिखाना है।
उदहारण 1 : मान लीजिये कि आपने एक पम्पलेट बनाया जो की बहुत ही हलके पेपर पर है और उसका साइज A4 का डबल है और उसे आप जनता को हाथ में दे रहे हैं मतलब की हैंड पम्पलेट की तरह बाँट रहे हैं तो क्या वो उनको आकर्षित करेगा? ना!
उदाहरण 2 : आपने एक टीवी एड बनाया जिसका फाइल फॉर्मेट टीवी स्टूडियो पर सपोर्ट ही नहीं करता या फिर उसका स्क्रीन साइज स्क्वायर में है जो की टीवी पर बिलकुल भद्दा लग रहा है!
तो ध्यान रखिये की आप सही फॉर्मेट का चुनाव करें।
फॉन्ट
आपके विज्ञापन का फॉन्ट उस विज्ञापन के अनुरूप होना चाहिए व ऐसा होना कि जिसे आम उपभोक्ता आसानी से पढ़ सके। तभी विज्ञापन उपभोक्ता को आकर्षित करने में सफल होगा।
किसी भी फोंट्स को कम्पनी अथवा उसके प्रोडक्ट की विशेषता के अनुसार ही उपयोग में लाना चाहिए।
रंग (कलर)
विज्ञापन के बैकग्राउंड, फोंट्स, चित्रों का कलर ऐसा होना चाहिए जो आँखों को भाये। जो स्पष्ट रूप से विज्ञापन में समाहित जानकारी को दिखाए। साथ ही साथ आपको कलर सायकोलोजी का भी ज्ञान होना चाहिए।
चित्रों अथवा चलचित्रों का उपयोग
विज्ञापन में यदि चित्र अथवा चलचित्र हो तो भी यह आकर्षण का केंद्र बन जाता है। किन्तु इनको भी इसी प्रकार से प्रयोग करना आना चाहिए कि ये उपभोक्ता का ध्यान न भटकाए। एक चित्र जो की किसी विज्ञापन पर लगा हुआ है उसका कार्य यह है कि वह विज्ञापन के उत्पाद अथवा सेवा की ओर उपभोक्ता का ध्यान केंद्रित करने में सहायता करे।
विज्ञापन लेखन (स्क्रिप्ट राइटिंग)
किसी फिल्म की ही तरह विज्ञापन का लेखन भी एक कला है। विज्ञापन लेखन में वो क्षमता होनी चाहिए कि वह उपभोक्ता को इंगेज करके रख सके। विज्ञापन लेखन के लिए कई यूनिवर्सिटी कोर्स भी करवाती हैं।
सही भाषा का उपयोग
विज्ञापन की भाषा ऐसी होनी चाहिए जो कि न केवल उस उत्पाद के बारे में अच्छे से बता सके बल्कि उपभोक्ता को समझ भी आ सके। कूट शब्दों का प्रयोग उपभोक्ता को भ्रमित कर सकता है। या फिर आपके द्वारा किसी प्रतिकूल भाषा का प्रयोग इसे मजाकिया अथवा भद्दा भी बना सकता है।
तो आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद करते हैं आपको समझ आया होगा कि Kisi Vigyapan Ke Aakarshan Ka Karan Kya Hota Hai – किसी विज्ञापन के आकर्षण का कारण क्या होता है? अन्य महत्वपूर्ण जानकारी एवं नए नए टॉपिक्स के बारे में जानने के लिए ज्ञानग्रंथ से जुड़े रहिये।
FAQs
विज्ञापन का हमारे समाज पर बहुत ही गहरा प्रभाव है। विज्ञापन ही किसी आम व्यक्ति को कोई वास्तु खरीदने हेतु प्रेरित करता है और विज्ञापन ही जीवन शैली को बदलने में भी कारगर साबित होते हैं।
विज्ञापन की भाषा ऐसी होनी चाहिए जो विज्ञापन के अनुकूल हो साथ ही साथ ऐसी कि विज्ञापन के दर्शक को समझ आ सके। अगर उसके सर के ऊपर से ही आपकी बात चली गयी तो क्यों ही खरीदेगा वह आपका उत्पाद?
विज्ञापन को बार बार प्रदर्शित करके उसे उपभोक्ता के दिमाग में बिठा दिया जाता है। इसे ब्रांडिंग कहते हैं। ब्रांडिंग के द्वारा आपको उत्पाद व कम्पनी का नाम लगभग रटा दिया जाता है।
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