अहम ब्रह्मास्मि का अर्थ क्या होता है?

अहम ब्रह्मास्मि का अर्थ

No Comments

Photo of author

By Shubham Jadhav

आज आप जानेंगे कि अहम ब्रह्मास्मि का अर्थ क्या होता है?

अहम ब्रह्मास्मि का अर्थ

हिन्दू धर्म में मौजूद शास्त्रों तथा उपनिषदों में चार महाकाव्य है, उन्ही मेसे एक है अहम ब्रह्मास्मि जिसका अर्थ होता है “में ब्रह्मा हूँ”। यह यजुर्वेद का सार है जिसमे यह बताया गया है कि संसार के हर व्यक्ति में ब्रह्मा निवास करते हैं वो ब्रह्मा जिन्होंने इस संसार का निर्माण किया है जो इस पृथ्वी के कण कण में है। यह ही सबसे दिव्य शक्ति है जो संसार की रचना करने के साथ साथ है वस्तु, नदी, पहाड़, प्रकृति आदि में विद्यमान है।

काव्यो में जीवन के अनुसंधानों का वर्णन है जो यह दर्शाते हैं कि इस जीवन में कुछ भी असम्भव नही है, और अहम ब्रह्मास्मि महाकाव्य का मुख्य दर्शन यही है कि वह मनुष्य को यह पाठ ज्ञात करता है कि तुम ही ब्रह्मा हो, इस संसार की हर शक्ति तुम्हारे अंदर विद्धमान है सारे गुण सारी शक्ति से परिपूर्ण भगवान ब्रह्मा के समान हो जिन्होंने इस संसार की हर वस्तु का निर्माण किया है।

ब्रह्मा की शक्ति से ही तुम्हारा निर्माण हुआ है इसीलिए तुम में भी ब्रह्मा के अंश है जो और जिसमे भगवान का अंश होता है उसका पूर्ण शरीर भगवान के गुणों से संचित माना जाता है। किसी कार्यो को करने से पूर्व यह जरुर विचार करें की इस कार्य से ईश्वर प्रसन्न होगे कि नही क्योकि अगर ईश्वर प्रसन्न नही होंगे तो स्वयं में भी प्रसन्न नही हो सकता हूँ क्योकि मुझमे भी उस ईश्वर का अंश है। तो में उन कार्यो को करने से हमेशा दूर रहूँगा जो ईश्वर को नाराज़ करते हैं क्योकि अहम ब्रह्मास्मि।

कुछ और महत्वपूर्ण लेख –

0Shares

Leave a Comment