क्या आप जानना चाहते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार मांस खाना पुण्य है या पाप तो इस लेख को अंत जरुर पढ़ें। हिन्दू धर्म के कुल 18 पुराण है और इन्ही मेसे एक पुराण है गरुण पुराण जिसमे कई उपायों का वर्णन है और पाप तथा पुण्य के बारें में भी लिखा गया है।
गरुड़ पुराण के अनुसार मांस खाना पुण्य है या पाप
हिन्दू धर्म में मांस का सेवन करना पाप माना गया है, किसी भी वेद या पुराण में मांस खाना उचित है ऐसा नहीं लिखा गया है। हर वेद और पुराण यही कहता है कि किसी की हत्या कर उसके मांस को खाना घोर पाप है।
किसी भी जन्तु को यह अधिकार नहीं है कि किसी भी जीव की हत्या करें, अपनी भूख को मिटने के लिए किसी भी जीव की हत्या करना सही नहीं है। संसार में भूख मिटाने के लिए अनाज, सब्जियां सभी मौजुद है तो किसी बेजुबान जीव की हत्या करना कैसे सही हो सकता है। कृष्ण जी कहते हैं कि में उन लोगों की पूजा स्वीकार नहीं करता हूँ जो मांस का सेवन करते हैं, व्यक्ति जो मांस बेचता है, मांस पकाता है या परोसता है, वह भी उतना ही पापी है जो मांस का भक्षण करता है।
मांस के लिए जीव की हत्या करना पडती है और हिन्दू धर्म में हिंसा को भी पाप माना गया है, सनातन संस्कृति हमेशा से ही सभी जीव जन्तुओ के सम्मान की बात करता है और सनातन ग्रंथो में भी यह लिखा हुआ है कि हर जीव में ईश्वर का वाश है।
मांस मदिरा का सेवन करना राक्षसी प्रवृत्ति है तथा केवल राक्षस ही ऐसा करते हैं, जो मांस खाता है उसको सजा भोगनी पडती है और कभी भी प्रभु के चरणों में स्थान नहीं मिलता है, वह हर लोक में दुःख भोगते हैं। मांस मदिरा तामसिक होते हैं और इनके सेवन से बुद्धि का नाश हो जाता है तथा इन्द्रियों पर भी नियन्त्रण नहीं रहता है, और यही मांस का सेवन करने वाले के जीवन के दुखो का कारण बनता है।
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