मैदा एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जजों हर किसी के किचन में होता है, तथा इससे कई तरह के स्वादिष्ट प्रोडक्ट बनाएं जा सकते हैं। इसीलिए शायद बाज़ार में भी मैदे से बनने वाली कई तरह की चीजें मिल जाती है। मैदे को बनाने के लिए एक प्रोसेस होती है जो कई स्टेप में पूरी होती है तो आइये जानते हैं कि मैदा कैसे बनता है?
मैदा रसोई घर का अभिन्न अंग है पर साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है। यह शरीर पर कुछ बुरे असर डालता है फिर भी कई हर घर में इसकी मौजूदगी होती ही है और यह बाज़ार में भी सबसे ज्यादा उपयोग किया है। कई लोग हमें यह रे देते हैं कि मैदा नहीं खाना चाहिए क्योकि यह हमारे शरीर को नुकसान पहुचता है पर फिर भी हम इसके उपयोग को कम नहीं कर पाते हैं क्योकि यह इतना स्वादिष्ट होता है और पिज़्ज़ा, मोमोज, समोसे, कचोरी आदि में उपयोग होता है। यहां तक कि मेरे परिवार वाले भी मुझे आटा खाने से मना करते हैं, फिर भी मैं स्वस्थ जीवनशैली नहीं जी पा रहा हूं और कई बार मैं ऐसे उत्पाद खा लेता हूं जो शरीर के लिए अच्छे नहीं होते। वैसे मैदा का ज्यादा उपयोग ही यह हानिकारक होता है अगर इसे सही मात्रा में खाया जाए तो यह कोई नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन स्वाद के चक्कर में लोग इसका सेवन कम नहीं कर पाते और आटा कंपनियां हर दिन बड़ी मात्रा में मैदा बनाकर बाजार में बेच रही हैं। रहा है।
यदि आपको पता नहीं है तो आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि मैदा आटे से ही बनता है, मेने भी जब पहली बार सुना था कि मैदा आटे से बनता है तो मैं भी अचम्भित हो गया है था कि जिस गेहूं के आटे की रोटी हम प्रतिदिन खाते हैं और कम रोटी खाने पर हमारी मम्मी डाटती है उसी गेहूं से बनने वाले मैदे को खाने के लिए हमें मना क्यों किया जाता है। आइये जानते हैं आखिर क्या है इसकी वजह और कैसे बनता है यह मैदा?
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मैदा कैसे बनता है?
मैदा महूँ से ही निर्मित किया जाता है परन्तु मैदे को बनाने में गेहूं के केवल सफ़ेद भाग का ही उपयोग होता है, इस भाग को endosperm कहते हैं, मैदे को बनाने में गेहूं में मौजूद सभी प्रकार के पौषक तत्व नष्ट हो जाते हैं जिस कारण यह बिलकुल भी लाभकारी नहीं होता है यह बस स्वादिष्ट होता है और खाने की चीजों को कुरकुरी बनाता है जो आटा या बेसन नहीं कर सकता है।
मैदा एक प्रकार का रीफंड प्रोडक्ट है इसीलिए इसके निर्माण के लिए गेहूं का सही चयन किया जाता है और उसे के बाद प्रोसेस को आगे बढ़ाया जाता है, गेहूं के चयन के बाद गेहूं से सारे उन पदार्थो को अलग कर दिया जाता है जो गेहूं की गुणवत्ता को कम करते हैं जैसे खरपतवार, कंकर आदि।
मैदे को बनाने में केवल सुके सफेद भाग का उपयोग होता है इसीलिए उसके पीले भाग को हटाया जाता है तथा गेहूं को कई बार पीसा जाता है, मैदा बहुत ही बारीक़ पाउडर होता है इसीलिए इसे एक अधिक बार पीसना होता है, इसके बाद रिफाइनिंग की जाती है तथा इसमें कई तरह के जरुरी केमिकल मिलाए जाते हैं ताकि यह चीजों को बनाने में सहयोगी हो और आटे की तरह न रह जाएँ, मैदा गेहूं की तरह टुटाता नहीं है जिस कारण इससे पीज़ा, मोमोज, समोसे आदि बनाए जा सकते हैं। और इसे ऐसा बनाने के लिए ही इसे एक केमिकल प्रोसेस से गुजरना पड़ता है जो इसके पोषक तत्वो को नष्ट कर देती है।
इसके बाद मैदे को फाइनल चेक कर बाज़ार में बेचा जाता है, आपको बाज़ार में पैकेजिंग वाला और खुला दोनों तरह का मैदा मिल जाता है। कंपनिया अपने मैदे की पैकेजिंग कर उसे बाज़ार में बेचती है जिस पेकेट पर उनकी कम्पनी का नाम होता है।
मैदे के सेवन से होने वाले नुकसान
मैदे में किस तरह का कोई पोषक तत्व नहीं होता है। तथा इसमें फाइबर भी नहीं पाया जाता है जो पाचन के लिए जरुरी है इसी कारण इसके सेवन के बाद लोगों का पाचन खराब सा हो जाता है। मैदे में कई तरह की चीजे भी मिलाई जाती है जो शरीर को नुकसान पहुचा सकती है इसीलिए इसका सेवन कमतर ही करना चाहिए और इसके ज्यादा सेवन से पाचन तंत्र खराब हो सकता है तथा वजन भी बड़ सकता है।
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