अभी पितृ पक्ष का समय चल रहा है इस समय संताने अपने पूर्वजो का श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान करते हैं, क्योकि हिन्दू धर्म में माना जाता है कि पितृ पक्ष में समय पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आते है और अपनी संतानो से श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान कि आशा रखते हैं। पितृ पक्ष में जल देने का बहुत ही महत्व है क्या आप पितृपक्ष में जल देने की विधि जानते है अहर नही तो आइये जानते है इस विधि के बारें में। क्योकि इस जल देने की विधि का अत्यधिक महत्व होता है, पितरो को प्रसन्न करने के लिए जल को सही से अर्पित करना होता है ताकि पितरो को कृपा दृष्टि बनी रहें और हमारी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकें।
पितृपक्ष में जल देने की विधि
पितृ पक्ष के समय पिंडो पर जल दिया जाता है इसे तर्पण कहा जाता है। जल देते समय हम इस बात का ध्यान रखना होता है कि अंगूठे से पितरों को जल दिया जाना चाहिए क्योकि हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से पूर्वजो की आत्मा को शांति मिलती है। जल देते समय हमे हमारे पितरो का ध्यान करना चाहिए, जल देते समय गोत्र का उच्चारण करना चाहिए। तर्पण के लिए जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल की जरूरत होती है बाकि सामग्री आपको पंडित जी द्वारा बतादी जाती है। हमे इस बात का ध्यान रखना है कि तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की तरफ मुंह करके बैठना है।
कौन कौन दे सकता है जल?
पितरो को परिवार का हर सदस्य जल दे सकता है, जैसे की पुत्र के अतिरिक्त माता और बुजुर्ग की मृत को जल अर्पित कर सकते हैं, इन्होने ही हमारे विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्होने ही यह जीवन भी दिया है तथा इसका विकास किया है, इसीलिए उनका सम्मान करना बेहद जरुरी है, पितृ पक्ष के दौरान कई बातो का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि इस समय तामसिक चीजो का सेवन नहीं करना चाहिए, नशा नहीं करना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए, किसी को पीड़ा नहीं पहचानी चाहिए। पितृ पक्ष में केवल पितरो का सम्मान, दान धर्म और पूजा पाठ करना चाहिए ताकि पितृ हमसे प्रसन्न हो और हमें आशीर्वाद दें ताकि हम सरल और सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें।
FAQs
पितरो को अंगूठे से जल अर्पित करना चाहिए, तथा पूरी आस्था से तर्पण करना चाहिए।
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