शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए

शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

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By Shubham Jadhav

सावन माह में देवो के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए उन पर विभिन्न प्रकार की चीजे चढ़ाई जाती है। उनकी भक्ति करने का वैसे तो कोई नियम नहीं है परन्तु फिर भी वे वैरागी हैं और इसी वजह से कुछ चीज़ें उनपर अर्पित नहीं की जाती हैं। आइये आज हम आपको बताते हैं कि शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

पंडित गौरव भार्गव के अनुसार आपको कभी भी शिवलिंग पर यह चीजें नहीं चढ़ाना चाहिए :-

तुलसी

एक कथा के अनुसार तुलसी का पूर्व जन्म में वृंदा नाम था, जो की जलंधर की पत्नी थी, यह राक्षस कुल ने जन्मा एक राक्षस था क्योकि इसके पुराने कर्म बुरे थे, यह संसार में लोगों को अत्यधिक परेशान करता था, इसके पास कुछ शक्तियां थी जिस कारण कोई भी इसका वध नहीं कर पा रहा था, इसकी पत्नी पतिव्रत धर्म का पालन करती थी इसका कारण इसकी मृत्यु सम्भव नहीं थी तो भगवान विष्णु ने छल से उनका पतिव्रत धर्म टुटवा दिया था तो उसके विष्णु को श्राप दिया की आप पत्थर के बन जाओगे पर विष्णु ने कहा की वह इस संसार की रक्षा कर रहे थे तो उन्होंने वृंदा को श्राप दे दिया कि तुम अगले जन्म में लड़की बन जाओगी, इसी कारण शंकर भगवान को तुलसी नहीं चढ़ती है क्योकि वह श्रापित है।

नारियल

भगवान को कई तरह के फल चढ़ाएं जाते हैं परन्तु उन्हें नारियल नहीं चढ़ाया जा सकता है, उसके पीछे एक मुख्य कारण है कि नारियल को श्री फल भी कहा है जिसका अर्थ है कि नारियल माता लक्ष्मी का अवतार है और यह विष्णु जी की अर्धांगिनी है, और विष्णु जी की अर्धांगिनी यानिकी पत्नी होने के कारण नारियल को शंकर भगवान को अर्पित नहीं किया जा सकता हैं।

कुमकुम

कुमकुम

कुमकुम एक श्रृंगार का साधन है और इसे स्त्रियाँ भी धारण करती है, तथा भगवान सही एक वैरागी है जिसक कारण उनका श्रृंगार से कोई सम्बन्ध नहीं है, यही कारण है कि भगवान शिव को कुमकुम यानिकी सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है।

शिवलिंग पर कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए

हल्दी

जिस तरह कुमकुम का सम्बन्ध श्रृंगार से है उसी प्रकार हल्दी का उपयोग भी श्रृंगार में किया जाता है, तथा हल्दी स्त्रियोचित वस्तु मानी गयी है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है जिस कारण उन्हें हल्दी चढ़ाना उचित नहीं है, किसी को भी शंकर भगवान को हल्दी नहीं चढ़ाना।

शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए

केतकी का फूल

एक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा आपस में झगड़ रहें थे कि उन दोनों में कौन श्रेष्ठ है, दोनों का कहना था कि मैं श्रेष्ठ हूँ, जिस कारण बहस बढ़ती जा रही थी, शंकर भगवान को इस बारें में पता चला तो वह उनके पास पहुचें और उनसे कहा कि जो भी मेरे द्वारा निर्मित इस शिवलिंग का अंत या प्रारम्भ पहले खोज लेगा वही श्रेठ है। तभी भगवान विष्णु अंत खोजने के लिए ऊपर की ओर प्रस्थान कर गये और भगवान ब्रह्मा आरम्भ की खोज में निचे की ओर जाने लगे, कुछ समय बाद भगवान ब्रह्मा को रास्ते में केतकी का फूल मिला तो उन्होंने सोचा की इस शिवलिंग का प्रारम्भ नहीं मिल रहा है यदि केतकी का फूल मेरे साथ चल कर कह देगा कि में ब्रह्मा जी को शिवलिंग में मिला हूँ तो में विजय हो जाऊंगा, केतकी इस झूठ के लिए मान गया, पर शंकर भगवान जानते थे कि शिवलिंग का न आदि है न अंत तो उन्होंने क्रोधित हो कर केतकी के फूल को श्राप दे दिया कि वह कभी भी उनके ऊपर नहीं चढ़ाया जाएगा।

शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए

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