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ताजिये दफनाने का स्थान को क्या कहते हैं?
इमाम हुसैन के मक़बरे की अनुकृति को बाँस की कमाचिय़ों पर रंग-बिरंगे कागज, पन्नी आदि चिपका कर बनाया जाता है उसे ताज़िया कहते है। मुहर्रम के दिनों में सुन्नी मुसलमान हजरत-इमाम-हुसेन की कब्र के समान इस ताज़िया की आराधना करते हैं और फिर दसवें दिन जूलूस के साथ ले जाकर इसे उचित स्थान पर दफन किया जाता है। इमाम हुसैन को यज़ीद की फ़ौज ने करबला जो इराक़ में स्थित है मैदान में 10वीं मुहर्रम को शहीद कर दिया था इसीलिए हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताज़िया निकाला जाता है और शोक मनाया जाता है। यह घटना 680 ई. की है एवं हज़रत इमाम हुसैन पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद के नाती और इस्लाम के चौथे ख़लीफ़ा हज़रत अली के बेटे थे।
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