ऊंट विशाल आकार का एक जानवर है जिसकी लम्बी लम्बी टाँगे तथा बड़ी सी लम्बी गर्दन होती है और इसके चार पैर होते हैं और पीठ पर कुबड़ निकला हुआ होता है। यह रेगिस्तानी क्षेत्र में पाए जाते हैं क्योकि इनका शरीर रेगिस्तान में रहने के लिए ही बना होता है, इनकी कुबड़ में पानी संचित होता है इनके पैर में मोजूद खुर रेत में आसानी से नही धसते हैं और इसकी आँखों की संरचना कुछ ऐसी होती है कि इसमें आसानी से धुल के कण नही जाते हैं इसीलिए यह रेगिस्तान की आंधी में भी देख पाता है, इसीलिए इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहते हैं। यह सामाना को एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुचाने में मदद करता है। मादा ऊंट का दूध बहुत ही लाभकारी होता है इसमें बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं। आगे आप जानेंगे कि ऊंट को संस्कृत में क्या कहते हैं?
ऊंट को संस्कृत में क्या कहते हैं? (unt ko sanskrit mein kya kehte hain)
ऊँट को संस्कृत में उष्ट्र कहते हैं। ऊंट की सवारी आज भी प्रचलन में है लोग राजस्थान, गुजरात में जा कर ऊंट की सवारी का आनंद लेते हैं।
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